देश के स्वदेशी लाइट टैंक ‘जोरावर’ का सफल परीक्षण हुआ है। DRDO ने इसे लार्सन एंड टुब्रो कंपनी के साथ मिलकर तैयार किया है। इसके 2027 तक भारतीय सेना में शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है।
जानकारी के अनुसार, शुरुआत में सेना को 59 टैंक दिए जाएंगे। इनकी संख्या 295 तक करने की योजना है। लाइट वेटेड ‘जोरावर’ टैंक को लद्दाख जैसे हाई एल्टिट्यूड वाले इलाकों में तैनात किया जाएगा। रूस-यूक्रेन युद्ध से सबक लेते हुए टैंक में लोइटरिंग म्यूनिशन यूएसवी जोड़ा गया है।
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‘जोरावर’ की खासियत
जोरावर को पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भारतीय सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विकसित किया गया है, ताकि सीमा पर चीनी तैनाती का मुकाबला किया जा सके। ऐसा माना जा है कि जोरावर को चीन के कम वजन वाले टैंक ZTQ टाइप-15 के मुकाबले के लिए तैयार किया गया है। गलवान घाटी में भारतीय सेना से हुई झड़प के बाद चीन ने इसी टैंक को तैनात किया है। वहीं भारतीय सेना की तरफ से 200 टी-72 टैंकों को तैनात किया गया है। ये टी-72 जोरावर के मुकाबले भारी है।
2027 तक आर्मी में शामिल हो सकता है ‘जोरावर’
DRDO के प्रमुख डॉ. समीर वी कामथ ने कहा है कि सभी के लिए लाइट टैंक को एक्शन में देखना वाकई एक महत्वपूर्ण दिन है। हमने मिसाल कायम की है। ढाई साल से कम समय में हमने ना केवल 25 टन वजनी लाइट टैंक डिजाइन किया, बल्कि उसका पहला प्रोटोटाइप भी बनाया और उसकी टेस्टिंग भी की है।
उन्होंने कहा कि अब पहला प्रोटोटाइप अगले 6 महीनों में डेवलपमेंट टेस्टिंग से गुजरेगा। जोरावर को सभी परीक्षणों के बाद साल 2027 तक भारतीय सेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है।
अगले 12-18 महीने में सभी टेस्ट पूरे होने की उम्मीद
उम्मीद जताई जा रही है कि अगले 12 से18 महीनों में सभी टेस्ट पूरे कर लिए जाएंगे। सेना को सौंपे जाने के बाद इन टैंकों को एयरफोर्स के C-17 ग्लोबमास्टर के जरिए तैनाती वाली जगहों पर ले जाया जाएगा। एक बार में 2 टैंक ले जाए जा सकेंगे।