Prayagraj News- प्रयागराज के एक बुजुर्ग दंपति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है। जिसमें कहा गया है, कि उनका बेटा-बहू उनको प्रताड़ित करते हैं और दोनों को एक कमरे में लंबे समय से बंद रखा गया है। यह भी आरोप है, कि उनको खाने-पीने और शौचालय तक की सुविधा भी नहीं दी जा रही है। मामले को लेकर उच्च न्यायालय ने जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नर और सीएमओ की एक संयुक्त कमेटी बनाकर जांच करने के आदेश दिए हैं।
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बेटा-बहू कर रहे प्रताड़ित
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में बुजुर्ग दंपत्ति को प्रताड़ित करने की याचिका डाली गई है। इस याचिका में बेटा और बहु पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। वरिष्ठ नागरिकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति एस डी सिंह और न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने प्रयागराज के जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नर और सीएमओ की एक संयुक्त कमेटी बनाकर जांच करने के आदेश दिए हैं।
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सील बंद लिफाफे में रिपोर्ट न्यायालय में करें दाखिल
उच्च न्यायालय ने संयुक्त कमेटी से कहा है, कि वह यह सुनिश्चित करें कि बुजुर्ग दंपति की उनके मकान के सभी हिस्सों में पहुंच और आवाजाही हो सके। उनकी सुरक्षा और शांतिपूर्वक निवास की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, यदि आवश्यक हो तो उचित संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएं। न्यायालय ने सीएमओ से कहा है, कि दंपति की चिकित्सकीय जांच की जाए और उनको आवश्यक चिकित्सा सहायता दी जाए। चिकित्सा सहायता फोन या अन्य माध्यमों से भी समय-समय पर उपलब्ध कराई जाए। कमेटी को उनके पड़ोसियों और अन्य लोगों से पूछताछ कर पूरे मामले की सच्चाई जानने और अपनी रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में न्यायालय में दाखिल करने का भी निर्देश दिया गया है।
इस याचिका के मामले में दंपति पक्ष के अधिवक्ता आयुष मिश्रा का कहना था, कि दंपति को लंबे समय से बेटा-बहू द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है। उनको एक कमरे में बंद रखा गया है। उनको खाने-पीने और शौचालय की सुविधा भी नहीं दी जा रही है। इस पर न्यायालय का कहना था, कि याची को सामान्य तौर पर इस मामले में पहले जिलाधिकारी के समक्ष आवेदन करना चाहिए था। फिलहाल, मौजूदा हालात में इसमें काफी समय लग जाएगा, इसलिए न्यायालय की तरफ से न्यायहित को देखते हुए यह आदेश पारित किया है।