मानव तस्करी मामले में 25 हजार के इनामी अब्दुल गाजी और बिक्रम रॉय को यूपी एसटीएफ ने पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया है। इन दोनों पर बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं को घुसपैठ कराने और उनकी भारतीय नागरिकता के फर्जी दस्तावेज बनवाकर मानव तस्करी करने का आरोप है। दोनों को ट्रांजिट रिमांड पर लखनऊ लाया जा रहा है, जहां अदालत में पेश कर उन्हें पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी।
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एटीएस के मुताबिक, अब्दुल्ला गाजी को पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले के कालूताला से पकड़ा गया है। एटीएस द्वारा गिरफ्तार अबू सालेह की NGO के खातों में विदेशों से प्राप्त होने वाले अनुदान को अब्दुल्ला गाजी समेत गिरोह के अन्य सदस्यों ने फर्जी बिलिंग के जरिए गाजी फूड सप्लाई एवं गाजी मैसनरी फर्मों में ट्रांसफर किया। बाद में खातों से नकदी निकाल कर अवैध रूप से रोहिंग्याओं एवं बांग्लादेशियों की भारत में घुसपैठ, फर्जी भारतीय दस्तावेज बनवाने एवं अन्य माध्यम से उन पैसों को भारत के विभिन्न राज्यों में अपने सहयोगियों को भेजकर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल किया गया।
वहीं बिक्रम राय को भी यूपी एटीएस ने 24 परगना जिले के गंगुलिया से गिरफ्तार किया है। पूछताछ के दौरान उसने बताया कि वो भारत-बांग्लादेश बाॅर्डर पर अपने सहयोगियों के साथ मिलकर रोहिंग्याओं एवं बांग्लादेशियों को भारत में प्रवेश कराता था। वहां का स्थानीय निवासी होने के कारण उसे बांग्लादेश बार्डर के आसपास की अच्छी भौगोलिक जानकारी थी।
अबतक गिरोह के 9 सदस्य हो चुके हैं गिरफ्तार
पिछले 8 महीनों में इस सिंडिकेट से जुड़े 9 सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें बांग्लादेश निवासी आदिल उर रहमान अशरफी, तानिया मंडल, इब्राहिम खान, राशिद अहमद सरदार, कफीलुद्दीन और पश्चिम बंगाल निवासी अबु हुरैरा गाजी पुत्र अब्दुल्ला गाजी, शेख नजीबुल हक, असम निवासी मोहम्मद अब्दुल अव्वल, अबू सालेह मंडल शामिल हैं। अब्दुल्ला गाजी के फरार होने के बाद एटीएस ने उसपर 25 हजार का इनाम घोषित किया था।