Lucknow News- नगर निगम से जारी होने वाले जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र में अब संशोधन कराना आसान नहीं होगा। जन्म प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन में 21 दिन से अधिक देर होने पर सीएमओ दफ्तर की रिपोर्ट लगानी होगी।
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जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए अभी तक आसान प्रक्रिया थी। नगर निगम द्वारा किसी भी अस्पताल की रिपोर्ट पर बड़ी आसानी से बच्चों का जन्म प्रमाण-पत्र जारी कर दिया जा रहा था। पार्षद, लेखपाल या अधिकारी की रिपोर्ट लगाकर मृत्यु-प्रमाण पत्र भी बन जा रहा था। प्रमाण-पत्र जारी होने के बाद बदलाव कराना भी आसान था। एक ही ओटीपी पर बाबू नाम, जन्म या मृत्यु की तिथि जैसे सारे बदलाव आसानी से कर दे रहे थे। यह बदलाव भी कई बार हो रहा था। संशोधन के बहाने अभी तक प्रमाण-पत्र में किसी भी तरह का बदलाव बड़ी आसानी से कर दिया जा रहा था।
वहीं, मृत्यु प्रमाण-पत्र के लिए आवेदनकर्ता के साथ मृतक के माता-पिता या संरक्षक के आधार कार्ड का ब्योरा भी देना होगा। फिलहाल अभी तक तहसीलदार की रिपोर्ट पर मृत्यु के एक साल बाद भी प्रमाण-पत्र लेने की व्यवस्था थी। लेकिन, अब इसके लिए कम से कम सब रजिस्ट्रार की रिपोर्ट अनिवार्य कर दी गई है। यह व्यवस्था नई केंद्र सरकार के नए अपडेटेड साॅफ्टवेयर के चलते होगी।
बता दें, कि नगर निगम से जारी प्रमाण-पत्र के आधार पर हर साल जनगणना का ग्राफ बढ़ता है। बाबूओं की मनमानी के चलते पैदा होने के कई साल बाद भी बच्चे का जन्म प्रमाण-पत्र जारी कर दिया जाता था। इसी तरह मृत्यु कभी भी हुई हो, लेकिन थोड़े से रुपए लेकर प्रमाण-पत्र जारी कर दिए जा रहे थे। इस भ्रष्टाचार से एक तरफ जनगणना का समीकरण बिगड़ रहा था, वहीं दूसरी ओर स्कूलों में दाखिले और संपत्ति विवाद के मामलों में इसका दुरुपयोग हो रहा था।
नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ विजय कुमार ने बताया कि सॉफ्टवेयर में जो बदलाव किए गए हैं, उन पर केंद्र सरकार का नियंत्रण है। लखनऊ नगर निगम इसमें कुछ नहीं कर सकता है। नियम के अनुसार ही जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए जाएंगे।