नई दिल्ली- योग गुरु बाबा रामदेव के पतंजलि योगपीठ ट्र्स्ट की नेपाल में 100 एकड़ जमीन को लेकर विवाद बढ़ गया है। अब इस जमीन विवाद की जांच संसद की स्टैंडिंग कमिटी को सौंपी गई है। संसद की सार्वजनिक लेखा समिति ने पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट के नाम पर काभ्रे जनपद में स्थित 100 एकड़ जमीन विवाद की फाइल मंगवाई है। लेखा समिति ने भूमि व्यवस्था मंत्रालय को पत्र लिखकर 7 दिनों के अंदर जमीन की खरीद-बिक्री से संबंधित सभी फाइल सार्वजनिक लेखा समिति को सौंपने के लिए कहा है।
समिति के सभापति ऋषिकेश पोखरेल ने कहा है कि पतंजलि ट्रस्ट को नेपाल सरकार ने सस्ते दामों में 100 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई थी, जिसके सभी दस्तावेज अब मंगवाए गए हैं। उन्होंने बताया कि यह मामला करीब डेढ़ दशक पुराना है। माधव नेपाल के नेतृत्व में तत्कालीन सरकार ने बाबा रामदेव के पतंजलि ट्रस्ट को 100 एकड़ जमीन सस्ते दामों पर उपलब्ध कराने का निर्णय कैबिनेट में लिया था। इस निर्णय के बाद काभ्रे के बनेपा में ट्रस्ट के नाम से 100 एकड़ जमीन खरीदी गई।
सरकार ने आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय, आयुर्वेदिक अनुसंधान केन्द्र, योगशाला, औषधि उत्पादन केन्द्र, गौशाला निर्माण तथा जडीबुटी शोधन केन्द्र के निर्माण के लिए सस्ते दामों पर यह जमीन खरीदने की अनुमति दी थी। रामदेव के पतंजलि ट्र्स्ट को दी गई यह जमीन कुछ माह बाद ही प्लॉटिंग कर निजी व्यक्तियों को बेचने का मामला सामने आया। बनेपा नगरपालिका के अनुसार रामदेव के ट्र्स्ट को मिली। इस जमीन का 80 प्रतिशत हिस्सा प्लॉटिंग कर निजी व्यक्तियों को बेच दिया गया है।
पतंजलि योगपीठ नेपाल के प्रमुख ट्रस्टी शालीग्राम सिंह का दावा है कि कैबिनेट की ही स्वीकृति लेकर जमीन बेची गई है और इसके बदले में धुलीखेल में 80 एकड़ जमीन खरीदी गई है। अब सार्वजनिक लेखा समिति इस बात की जांच करेगी कि आखिर सरकार ने ढाई महीने में ही अपने ही पुराने फैसले को बदलते हुए ट्र्स्ट को जमीन बेचने की अनुमति कैसे दे दी।
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