लखनऊ: लोकसभा चुनाव के दौरान, बसपा प्रमुख मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को अपरिपक्व कहते हुए संगठन और अपने उत्तराधिकारी पद से मुक्त कर दिया था। दरअलस, सीतापुर में चुनाव प्रचार के दौरान आकाश आनंद ने भाजपा पर तीखे प्रहार किए थे। उन्होंने भाजपा को आतंकी कहते हुए करारा हमला किया था। जिसके बाद उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था।
इसी के बाद मायावती ने उन्हें संगठन की सभी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया था। लेकिन, 23 जून को लखनऊ में हुई बसपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में आकाश आनंद को फिर पार्टी का नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया। जिसके बाद से कई सवाल उठ रहे हैं कि आखिर मायावती ने आकाश आनंद को अपरिपक्व नेता कहते हुए संगठन से हटाया था, अब वही आकाश आनंद सिर्फ कुछ ही दिनों में परिवक्व कैसे हो गए? राजनीति के जानकार मायावती के इस निर्णय के पीछे कई वजहों को बताते हैं।
आकाश आनंद की बसपा संगठन में वापसी का सबसे बड़ा कारण है दलित मतदाताओं की बीएसपी से दूरी। 2024 लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन मायावती के कोर वोट बैंक जाटव समाज में सेंधमारी करने में सफल रहा। इसकी सबसे बड़ी वजह आकाश आनंद को बसपा के सभी पदों से मुक्त करना था।
जानकारों का कहना है कि मायावती ने आकाश आनंद को पार्टी के सभी पदों से मुक्त कर दिया। जिससे दलित वोटरों में गलत संदेश गया। कहा जा रहा है कि मायावती के इस निर्णय से दलित समाज नाराज हो गया। इसी के चतले बड़ी संख्या में दलित मतदाता सपा-कांग्रेस गठबंधन की ओर मूव हुए। जिसके कारण बसपा का वोट शेयर 9 प्रतिशत के करीब पहुंच गया। जबकि 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा का वोट शेयर लगभग 13 फीसदी रहा था।
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वहीं, आकाश आनंद की बसपा में वापसी की दूसरी सबसे बड़ी वजह चंद्र शेखर रावण को माना जा रहा है। वह अबकी बार नगीना से लोकसभा चुनाव जीते हैं। सबसे बड़ी बात यह कि नगीना बसपा का गढ़ रहा है। लेकिन, 2024 के लोकसभा चुनाव में यहां से बसपा के प्रत्याशी को सिर्फ 30 हजार के आसपास ही वोट मिले। आजाद समाज पार्टी प्रमुख चंद्र शेखर रावण ने बड़े अंतर से नगीना से जीत दर्ज की। जिसके बाद से चंद्र शेखर रावण को अभरता हुआ दलित नेता कहा जाने लगा। माना जा रहा है कि मायावती ने चंद्र शेखर रावण की काट के तौर पर आकाश आनंद को फिर से जिम्मेदारी सौंपी है।