कुवैत अग्निकांड में अपनी जान गंवाने वाले भारतीयों के शवों को लेकर इंडियन एयरफोर्स का विशेष विमान शुक्रवार को केरल के कोच्चि पहुंचा। इस विमान के जरिए कुवैत से 45 भारतीयों के शवों को यहां लाया गया है। विदेश राज्य मंत्री और गोंडा के सांसद कीर्ति वर्धन सिंह भी इसी विमान से वापस लौटे हैं। कीर्ति वर्धन सिंह गुरुवार को कुवैत पहुंचे थे और उन्होंने यहां पांच अस्पतालों का दौरा किया था।
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मृतकों में सबसे ज्यादा केरल के नागरिक
बता दें कि बुधवार की सुबह कुवैत के मंगाफ शहर में 6 मंजिला इमारत में आग लगने से भीषण हादसा हो गया था। इसमें करीब 49 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग झुलस गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मृतकों में केरल के सबसे ज्यादा 23 नागरिक थे। इसके अलावा तमिलनाडु के 7, उत्तर प्रदेश के 3, आंध्र प्रदेश के भी 3, ओडिशा के 2 लोग भी इस हादसे का शिकार हुए थे। वहीं महाराष्ट्र, कर्नाटक, बिहार, झारखंड, बंगाल, पंजाब और हरियाणा के एक-एक नागरिक की भी अग्निकांड में मौत हो गई थी।
कुवैत में इतनी संख्या में क्यों बसे हैं भारतीय
दरअसल कुवैत में काफी संख्या में भारतीय रहते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार साल 2023 में कुवैत की कुल आबादी 48.59 लाख थी। इसमें से 61 प्रतिशत मजदूर और कर्मचारी थे। कुवैत की 21 फीसदी आबादी भारतीय ही है, जबकि कुवैत में 30 प्रतिशत कामगार भारतीय हैं। रिपोर्ट के मुताबिक कुवैत में 10 लाख से ज्यादा भारतीय रहते हैं। भारतीय मजदूर निर्माणाधीन इमारतों के छोटे कमरों या लेबर कैंप्स में रहते हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो एक-एक कमरे में 10 से 15 मजदूर रहते हैं। इसके अलावा भारतीय मजदूरों से तय समय से ज्यादा घंटे तक काम कराने के भी आरोप लगते रहे हैं।
कुवैत समेत तमाम खाड़ी के देशों में भारत से तमाम लोग काम करने जाते हैं। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन रेगुलेशन के नियमों के मुताबिक विदेश में काम करने वाले भारतीय मजदूरों के लिए मिनिमम रेफरल सैलरी तय की गई है। खाड़ी के देशों में ज्यादातर मजदूर केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पंजाब से जाते हैं।