Muzaffarnagar News- मुजफ्फरनगर के दाहौड़ गांव स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत अनुदेशक साजिद सैफी पर बच्चों को नमाज पढ़ने का दबाव बनाने का आरोप लगा है। अभिभावक ने आरोप लगाते हुए कहा कि वह धार्मिक भेदभाव कर बच्चों को प्रताड़ित कर रहा है। वहीं इस मामले का पता चलते ही शिक्षा विभाग व प्रशासनिक अधिकारियों में खलबली मच गई। आनन-फानन में जांच करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। अनुदेशक से स्पष्टीकरण मांगा गया है और अनुदेशक के नवीनीकरण पर रोक लगा दी गई है।
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उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में संविदा अनुदेशक साजिद सैफी दाहौड़ गांव स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय में अगस्त 2023 से कार्यरत है। अनुदेशक साजिद पर आरोप है, कि प्रत्येक शुक्रवार (जुमा वाले दिन) दोपहर को नमाज पढ़ने के लिए जाते हैं, लेकिन विद्यालय नहीं लौटते। आरोप है कि, वह अपने साथ बच्चों को भी नमाज पढ़ने के लिए प्रेरित कर शुक्रवार का अवकाश रखने के लिए कहते हैं। विद्यालय के मुस्लिम छात्र-छात्राओं को अलग से शिक्षा देकर अलगाववाद सिखाते हैं। बच्चों के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव करते हैं। यह भी आरोप है, कि अनुदेशक अपने वाट्सएप पर अश्लीलता भरे स्टेटस लगाते हैं। इसको लेकर अभिभावकों ने कई बार शिकायत की। इसकी जानकारी मिलने पर तत्काल अनुदेशक के विरुद्ध जांच शुरु की गई है। वर्तमान में अनुदेशक का वर्ष 2024-25 का नवीनीकरण रोका गया है।
गंभीरता से होगी जांच
वहीं इस मामले में शिक्षा अधिकारी पंकज अग्रवाल ने बताया है कि हाल ही में प्रकरण की जानकारी मिली है, जिसकी जांच की गई है। हालांकि प्रत्येक तथ्य की वास्तविकता जांचने के लिए विद्यालय खुलने के बाद जांच होगी। 30 जून तक अवकाश चल रहा है। उसके बाद विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों के बयान दर्ज किए जाएंगे। इस मामले में अनुदेशक साजिद सैफी का कहना है, कि मुझ पर लगाए गए आरोप निराधार हैं। मुस्लिम वर्ग से होने के कारण प्रत्येक शुक्रवार को मैं अपने धर्म के अनुसार नमाज के लिए जाता हूं। इसके लिए अवकाश लेता हूं। किसी भी बच्चे के साथ धार्मिक भेदभाव का आरोप गलत है।