Lucknow News- आज ज्येष्ठ मास का तीसरा मंगलवार है। आज पूरे दिन लखनऊ के सभी हनुमान मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहेगी। भक्तों की भीड़ को देखते हुए सभी मंदिरों में भक्तों के लिए कुछ लोगों ने भंडारा वितरण का आयोजन भी किया है। आइए आपको शहर के प्राचीन हनुमान मंदिरों के बारे में बताते हैं…
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हनुमान सेतु मंदिर
लखनऊ में गोमती नदी के किनारे बने इस हनुमान सेतु मंदिर में लोगों का अटूट विश्वास और श्रद्धा है। मंदिर गोमती नदी के पुल के किनारे बना है, इसलिए इस मंदिर को हनुमान सेतु भी कहा जाता है। इस मंदिर को नीम करौरी बाबा ने बनवाया है। इस मंदिर के बगल में नीम करौरी बाबा का भी एक मंदिर बना है। इस मंदिर की मान्यता है कि जो भी भक्त यहां पर सच्चे मन से दर्शन करने आता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कोई भी श्रद्धालु खाली हाथ नहीं जाता है। यहां पर अंजनी पुत्र हनुमान को चिट्ठी वाले बाबा भी कहा जाता है। देश और विदेशों से श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं चिट्ठी पर लिखकर मंदिर के पते पर भेजते हैं। हर साल करीब तीन लाख चिट्ठियां भक्त बाबा के दरबार में भेजते हैं।
पुराना हनुमान मंदिर
अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर की स्थापना को लेकर अनेक मत हैं, एक मत के अनुसार अवध के छठें नवाब सआदत अली खां की मां छतर कुंअर ने मंदिर का निर्माण कराया था। अवध के नवाब शुजाउद्दौला की यह बेगम हिंदू थीं और चूंकि सआदत अली खां मंगलवार को पैदा हुए थे। इसलिए प्यार से उन्हें मंगलू भी कहा जाता था। मंगलवार हनुमान जी का दिन होता है, इसलिए हिंदू के साथ-साथ नवाब की आस्था भी इस दिन से जुड़ी रही है। छतर कुंअर को बेगम आलिया भी कहते थे। उनकी आस्था की बदौलत मंदिर का निर्माण हुआ। यहां हर साल जेष्ठ मास में मंगलवार को मेला लगता है।
नया हनुमान मंदिर
लखनऊ के अलीगंज में स्थित एक प्राचीन हनुमान जी का मंदिर है। यह मंदिर कई सालों पुराना है। इसकी मान्यता की चर्चाएं बहुत दूर-दूर तक फैली हुई है। जो इस मंदिर के एक बार दर्शन कर लें, उसकी मनोकामना बहुत जल्द पूरी होती है और जो व्यक्ति अपने मन से पूरी लगन के साथ दर्शन करने आए तो उसके कष्ट बहुत जल्द दूर हो जाते हैं।
पंचमुखी हनुमान मंदिर
यह मंदिर लखनऊ के आलमबाग में स्थिति है। यह एक लखनऊ का सबसे बड़ा अद्भुत मंदिर है, जहां लोग इस मंदिर में हनुमान को डॉक्टर के रूप में भी पूजते हैं। ऐसा माना जाता है, कि जो लोग कैंसर की बीमारी से घिरे हुए होते हैं, उनकी बीमारियां बहुत जल्दी दूर हो जाती हैं। एक बार मात्र दर्शन करने से कैंसर की बीमारी से छुटकारा मिल जाता है। इसलिए इस मंदिर को एक बड़ा अद्भुत मंदिर माना गया है।
लेटे हुए हनुमान जी मंदिर
गोमती किनारे अवस्थित श्री लेटे हुए हनुमान जी का विग्रह एक शिला के रूप में है, जो लगभग 250 वर्ष से भी अधिक पूर्व में मां गोमती के तट के दिशा मोड़ने के कारण बालू से प्रकट हुआ था। इस विग्रह को सीधा खड़ा करने के काफी प्रयास किए गए परन्तु शिला के रूप में ये स्वयं-भू स्थापित ही रहे, जिनको फिर वही उसी रूप में स्थापित कर दिया गया। इस प्राचीन हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार सन 1860 से 1875 के मध्य एक सिद्ध संत द्वारा किया गया था, जो नित्य गोमती स्नान-ध्यान हेतु आते थे। उसके बाद इस मंदिर का जीर्णोधार सन 1925 के लगभग पंचवटी घाट के संत मौनी बाबा के द्वारा किया गया। जिसकी तत्कालीन ईंट भी खुदाई से प्राप्त हुई है।
हनुमंत धाम मंदिर
लखनऊ में बने नए मंदिरों में हनुमंत-धाम मंदिर सबसे लोकप्रिय है। हनुमंत-धाम अंजनीसुत हनुमान और भगवान शंकर को समर्पित है। भगवान हनुमान जी के अलावा यहां आपको नवग्रह, दुर्गा मां, सरस्वती मां, राधा-कृष्ण, लक्ष्मी नारायण और राम दरबार के दर्शन मिलते हैं। इस मंदिर में हनुमान जी की छोटी से लेकर बड़ी प्रतिमाओं को मिलाकर एक लाख से भी ज्यादा प्रतिमाएं स्थापित हैं।
मकरध्वज के साथ विराजे हैं हनुमान
लखनऊ के चौक इलाके में बड़ी काली जी मंदिर के प्रांगण में एक मंदिर है। जहां पर हनुमान जी अपने पुत्र के साथ विराजमान हैं। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में मकरध्वज और हनुमान जी के सामने बैठकर पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी इच्छा पूरी होती है।
छांछी कुंआ का हनुमान मंदिर
पुराने लखनऊ में 400 साल पुराना एक ऐसा मंदिर है, जिसे छाछी कुआं हनुमान मंदिर कहा जाता है। जानकारी के अनुसार 1585 अयोध्या से बाबा 1008 परमेश्वर दास महाराज लखनऊ आए थे। इसी मंदिर के अंदर बने कुएं के पास उन्होंने अपना डेरा डाला था। एक दिन उनका कमंडल इसी कुएं में गिर गया था। लोगों ने बहुत प्रयास किया, लेकिन नहीं निकाल पाए। जब बाबा ने खुद रस्सी डाली तो पहली बार में कमंडल के साथ राम भक्त बजरंगबली की छोटी सी दुर्लभ मूर्ति भी निकल आई, जो कि आज भी इस मंदिर में विराजमान है। दूसरी बार उन्होंने कमंडल को फिर से कुएं में डाला तो छाछ निकली, जिसे बाबा ने दोबारा कुएं में ही पलट दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि 3 दिन तक उस कुएं में छाछ ही छाछ निकलती रही। कहते हैं कि गोस्वामी तुलसीदास भी यहां पर आ चुके हैं। इस मंदिर को अयोध्या की हनुमानगढ़ी के बराबर माना जाता है। यहां हनुमान जी की मूर्ति 12 भुजाओं वाली है। त्रिशूलधारी हनुमान मंदिर का ऐसा स्वरूप आपको कहीं और देखने को नहीं मिलेगा।