Prayagraj News- श्री कृष्ण जन्मभूमि – शाही ईदगाह विवाद के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में बृहस्पतिवार को सुनवाई की गई। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच फिर से लम्बी बहस हुई। आपको बताते चलें कि 31 मई 2024 को दोनों पक्षों की दलील पूरी होने के बाद कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित कर लिया था।
उत्तर प्रदेश राज्य में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लम्बित श्री कृष्ण जन्मभूमि – शाही ईदगाह विवाद के मामले में 6 जून को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान हिंदू और मुस्लिम पक्ष की ओर से न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की एकल पीठ के सामने दलीलें पेश की गई। बताते चलें कि 31 मई 2024 को सुनवाई पूरी होने के बाद न्यायालय की तरफ से निर्णय सुरक्षित रख लिया गया था। इस बीच मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता महमूद प्राचा ने प्रार्थना-पत्र देकर अपना पक्ष रखने के लिए न्यायालय से और समय देने की मांग की थी। जिस पर संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने सुनवाई के लिए मुस्लिम पक्ष को 4 जून का समय दिया था। न्यायालय के इस आदेश पर मुस्लिम पक्ष ने प्रार्थना पत्र देकर 5 जून के बाद का समय देने का अनुरोध किया था। इसके बाद न्यायालय ने सुनवाई की तारीख को आगे बढ़ाते हुए 6 जून का समय निर्धारित किया था।
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बृहस्पतिवार को मुस्लिम पक्ष ने न्यायमित्र की नियुक्ति पर आपत्ति जताते हुए कहा, कि न्यायमित्र की नियुक्ति रद्द की जानी चाहिए। मुस्लिस पक्ष की ओर से कहा गया, कि सिविल कोर्ट को न्यायमित्र नियुक्त करने का अधिकार नहीं है। कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। हिंदू पक्ष ने मुस्लिम पक्ष की अपील का विरोध करते हुए कहा, कि सिविल प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के अनुसार न्यायमित्र की नियुक्ति न्यायालय के विवेकाधिकार का विषय है। इस पर किसी प्रकार की कोई आपत्ति नहीं की जा सकती। हिंदू पक्ष की ओर से मांग करते हुए कहा गया कि मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को जुर्माना सहित खारिज किया जाए।
बताते चलें कि दोनों पक्ष की बहस पूरी होने के बाद न्यायालय अपना फ़ैसला पहले ही सुरक्षित कर चुका है। अब जल्द ही वाद की पोषणीयता पर फैसला आने की उम्मीद की जा रही है।