Agra News – नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट के अनुसार देश भर के डॉक्टरों को जेनेरिक मेडिसिन लिखना अनिवार्य है। इस नियम के बाद भी चिकित्सक ऐसा नहीं कर रहे हैं। ऐसे में गरीब मरीजों का महंगा इलाज करा पाना नामुकिन है। इस समस्या को लेकर आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता के सी जैन ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। न्यायालय इस मामले पर 9 जुलाई को सुनवाई करेगा।
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वरिष्ठ अधिवक्ता के सी जैन ने बताया कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया एक्ट 1956 में काउंसिल की ओर से बनाए गए नियम में कहा गया था कि चिकित्सक अपने मरीजों को जेनेरिक दवाएं लिखना अनिवार्य है। बताते चलें कि साल 2016 में इस नियम में कुछ नए बदलाव फिर से करते हुए इसे और भी ज्यादा सख्त कर दिया गया। इसके बाद मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया एक्ट के स्थान पर सन 2019 में नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट लागू हो गया। इसे 23 अगस्त 2023 से प्रभावी करके चिकित्सकों को जेनेरिक नाम से दवाइयां लिखना अनिवार्य कर दिया गया।
लैब से प्रमाणित हैं जेनेरिक दवाएं
याचिका कर्ता वरिष्ठ अधिवक्ता के सी जैन ने बताया कि जेनेरिक दवाएं जन औषधि केंद्र पर उपलब्ध होने वाली राष्ट्रीय परीक्षण और अंश-शोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड से प्रमाणित हैं। ऐसे में डॉक्टरों को जेनेरिक दवाएं लिखने के साथ ही उन्हें लेने के लिए भी मरीजों को प्रोत्साहित करना चाहिए। ये दवाएं एनएबीएल लैब से प्रमाणित हैं और उनके संबंध में संदेह करना उचित नहीं है। इस बारे में सामाजिक संगठनों को जागरुकता अभियान चलाना चाहिए।
ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं के मूल्य में अंतर
बता दें कि प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र की जेनेरिक दवाओं और ब्रांडेड दवाओं की मूल्यों में 18 गुना का अंतर है। उन्होंने कहा कि कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण के लिए एक कंपनी की 15 गोलियों की कीमत करीब 773 रुपए है, जबकि प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र से उसी सॉल्ट की 10 गोली का मूल्य सिर्फ 28.60 रुपए है। ऐसे ही अन्य जेनरिक और ब्रांडेड दवाओं के मूल्यों में भी काफी अंतर है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया कि याचिका पर अब 9 जुलाई को सुनवाई होगी।
आइए जानते हैं जेनेरिक दवाएं के बारे में
जेनेरिक दवाओं का कोई ब्रांड नेम नहीं होता है। सॉल्ट के हिसाब से इनकी बिक्री की जाती है। जो सॉल्ट ब्रांडेड कंपनियों की दवाओं में होते हैं, वे सभी इनमें मिल जाते हैं। कई कंपनियां इस तरह की दवाएं बनाती हैं। ये भी कहा जा सकता है कि जिन दवाओं के पेटेंट की अवधि समाप्त हो जाती है, वे सभी दवाइयां जेनेरिक के नाम से मिलती हैं।