ब्रिटेन में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की अभिलाषा रखने वाले भारतीय छात्रों का मोह अब भंग होता नजर आ रहा है। यूके के विश्वविद्यालयों में भारतीयों की संख्या में गिरावट देखी जा रही है। आंकड़ों की बात करें तो स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए पिछले वर्ष की तुलना में आवेदन करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में इस बार करीब 21,000 की कमी आई है।
भारतीय छात्रों की संख्या में आई गिरावट
लंदन में गुरुवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 31 दिसंबर 2023 तक भारतीय छात्र आवेदकों की संख्या में करीब 16 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है। ब्रिटेन के गृह विभाग के विश्लेषण में कहा गया है कि मार्च 2024 को समाप्त हुए वर्ष में भारतीय नागरिकों को 116,455 एजुकेशन वीज़ा प्रदान किया गया, जो कुल संख्या का 26 प्रतिशत है। छात्रों का ये आंकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में 21,717 कम है।
जहां एक ओर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने चार जुलाई को होने वाले आम चुनाव के लिए दूसरे देशों से लोगों के प्रवासन पर अंकुश लगाने को अपने प्रमुख मुद्दों में शामिल किया है। वहीं दूसरी ओर छात्रों की संख्या में आई इस गिरावट को प्रधानमंत्री के उस मुद्दे से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
दरअसल माइग्रेशन रोकने के लिए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने ग्रेजुएट रूट वीजा बंद करने का फैसला लिया है। उनके इस फैसले ने ब्रिटेन की उच्च शिक्षा प्रणाली और खासकर भारत के छात्रों की भलाई पर इसके नकारात्मक प्रभावों के बारे में चिंता बढ़ा दी है।
क्या है ये ग्रेजुएट रूट वीजा
इस वीजा नियम के अनुसार, एक छात्र पोस्ट-ग्रेजुएशन के बाद कम से कम दो साल और पीएचडी योग्यता वाले लोगों के मामले में तीन साल तक ब्रिटेन में रह सकता है। इस वीजा के लिए पात्रता ये है कि आवेदकों को शॉर्ट टर्म स्टडी वीजा या जनरल स्टूडेंट वीजा पर यूके में होना चाहिए। आवेदकों को अपने कोर्स के पूरा होने की पुष्टि अपने एजुकेशन प्रोवाइडर से भी करानी होगी। जब तक वीजा वैध है, तब तक ग्रेजुएट्स काम कर सकते हैं और फ्रीलांस कर सकते हैं। इसके अलावा आगे की शिक्षा भी ग्रहण कर सकते हैं। यूके में रोजगार मिलने की स्थिति में संभावित रूप से ‘स्किल्ड वर्कर’ वीजा के लिए भी जा सकते हैं। बता दें कि साल 2021 और 2023 के बीच दिए गए कुल ग्रेजुएट रूट वीजा में से 42 प्रतिशत भारतीय छात्र हैं।
रिपोर्ट्स की मानें तो ग्रेजुएट रूट पर किसी भी प्रतिबंध से भारतीय छात्र सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। उच्च शिक्षा के लिए ब्रिटेन को चुनने के भारतीय छात्रों के निर्णय के पीछे एक बड़ा कारण वीजा ही है, इसलिए इसके बंद होने से उच्च शिक्षा प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। वहीं दूसरी ओर भारतीय छात्रों की घटती संख्या विश्वविद्यालयों को भी चिंतित करेगी, क्योंकि ये विदेशी छात्रों से मिलने वाले शुल्क पर भी निर्भर करते हैं।