कोलकाता: कलकत्ता हाई कोर्ट ने बुधवार 22 मई को बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने ममता सरकार को झटका देते हुए 2010 के बाद जारी हुए लगभग 5 लाख ओबीसी प्रमाणपत्रों को रद्द करने का फैसला सुनाया है। जिसके बाद फर्जी तरीके से ओबीसी प्रमाणपत्र बनवाकर सरकारी नौकरी पाने वाले लोगों को बड़ा झटका लगा है। इस आदेश के बाद अब अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) जाति के प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी के लिए अप्लाई करना भी मान्य नहीं होगा।
बता दें कि एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट ने यह बड़ा फैसला सुनाया है। लोगों का कहना है कि इस फैसले से कई दूरगामी प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। यह अहम फैसला 22 मई बुधवार को जस्टिस तपब्रत चक्रवर्ती और राजशेखर मंथा की डिवीजन बेंच ने सुनाया। इस मामले को लेकर एक जनहित याचिका डाली गई थी। याचिका में OBC प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया पर प्रश्न चिन्ह उठाए गए थे। जिस पर कोर्ट ने कहा पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम-1993 के तहत ही OBC प्रमाण पत्र जारी किए जाएं। जबकि इन प्रमाण पत्रों क जारी करने के दौरान अधिनियम का पालन नहीं किया गया।
यह भी पढ़ें: पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में CBI का छापा, भारी मात्रा में गोला-बारुद और हथियार बरामद
कलकत्ता हाई कोर्ट के इस फैसले का बीजेपी ने स्वागत किया है। भाजपा ने बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और उनकी पार्टी टीएमसी पर तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप लगाया है। UP के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने इस मामले पर ममता सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ये अक्षम्य अपराध है। जिस प्रकार से ममता बनर्जी ने बयान दिया है कि हम हाई कोर्ट का आदेश नहीं मानेंगे। वे मुख्यमंत्री के पद पर एक क्षण भी रहने की हकदार नहीं रह गई हैं। उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। बता दें कि कलकत्ता हाईकोर्ट का फैसला आ जाने के बाद सीएम ममता बनर्जी ने आदेश स्वीकार ना करने की बात कही थी।