Lucknow News- 20 मई को पांचवें चरण के लिए यूपी की 14 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है। प्रशासन द्वारा चुनाव के दौरान गैर-कानूनी गतिविधियों पर विशेष रुप से नजर रखी जा रही है। आपको उन गतिविधियों के बारे में आपको बताते हैं, जिनको अगर अपने अनजाने में भी किया तो आपको लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 व आईपीसी के तहत अपराधी माना जाएगा, तो आइए जानते हैं उन गतिविधियों के बारे में…
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झूठ फैलाने पर 3 साल की सजा- चुनाव के दौरान यदि किसी व्यक्ति द्वारा अफवाह फैलाई जाती है या फिर ऐसा कार्य किया जाता है, जिससे दो समुदाय के बीच में विवाद पैदा हो। ऐसा करने पर प्रतिनिधित्व अधिनियम व आईपीसी की धारा 153 ए य, 295 ए य, 298, 505 के अन्तर्गत कार्रवाई की जाएगी। अगर इन धाराओं में एफआईआर दर्ज होती है, ऐसा करने वाले को तो 1 साल से 3 साल तक की सजा हो सकती है।
सभा में बाधा उत्पन्न करने पर 6 माह की सजा- चुनाव के दौरान यदि एक पक्ष द्वारा अनुमति के बाद सभा का आयोजन किया जा रहा है, तो इस सभा में व्यवधान डालने पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 127 के तहत 6 माह की सजा का प्रावधान है।
चुनावी पोस्टर पर प्रकाशक की जानकारी का न होना- चुनावी बैनर, पोस्टर व पंपलेट पर प्रकाशक का नाम होना अनिवार्य है, यदि प्रकाशक का नाम नहीं छापा जाता है, और यह आपत्तिजनक होते हैं, तो छापने वाले के खिलाफ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 127 ए के अन्तर्गत कार्रवाई हो सकती है। इसके लिए 6 माह की सजा व 200 रुपए जुर्माना का प्रावधान है।
गोपनियता भंग करने पर- मतदान की गोपनीयता भंग करना एक अपराधिकृत माना गया है। ऐसे में वह व्यक्ति जो निर्वाचन की प्रक्रिया में किसी भी माध्यम से जुड़ा है, यदि वह किसी भी मतदाता द्वारा किए गए मत की गोपनीयता को भंग करता है तो उसके खिलाफ धारा 128 के अन्तर्गत कार्रवाई की जाएगी और उसे 3 माह तक की सजा का प्रावधान है।
सरकारी कर्मचारी नही कर सकता चुनावी प्रचार- सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारी किसी भी व्यक्ति, पार्टी का प्रचार या सहयोग नहीं कर सकते हैं। यदि ऐसा करने पर धारा 129 के अन्तर्गत 6 माह तक की सजा का प्रावधान है।
पोलिंग बूथों के पास प्रचार- मतदान केंद्र के आस-पास प्रचार करना प्रतिबंधित है। ऐसे में मतदान केंद्र के 100 मीटर क्षेत्र के अंदर यदि लाउडस्पीकर या अन्य माध्यम से शोर-शराबा या प्रचार किया जाता है, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 171 के अन्तर्गत कार्रवाई की जा सकती है। इसमें 3 माह तक की सजा व 500 रुपए का जुर्माना लगाने का प्रावधान है।
निशुल्क वाहन सुविधा उपलब्ध कराना- मतदाता को यदि निशुल्क वाहन उपलब्ध कराया जाए, तो यह भी अपराध की श्रेणी में ही आता है। मतदान के दिन मतदाताओं को मतदान केंद्र से मतदाता के घर या उसके निजी स्थान पर यदि उम्मीदवार की ओर से वहां की निशुल्क सुविधा उपलब्ध कराई जाती है, तो ऐसे में इस कार्य को अपराधिकृत माना जाएगा। ऐसा करने वालों के खिलाफ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 131 के अन्तर्गत 3 माह की सजा का प्रावधान है।
मतदान केन्द्र पर शस्त्र ले जाना- मतदान केंद्र या उसके आसपास शस्त्र ले जाना एक अपराधिकृत माना जाता है. ऐसे में यदि कोई व्यक्ति मतदान केंद्र पर शस्त्र लेकर जाता है तो उसके खिलाफ धारा 134 भी के अन्तर्गत कार्रवाई की जाएगी, जिसके तहत 2 साल तक की सजा हो सकती है.
प्रलोभन देना- वोट के लिए पैसे या अन्य प्रलोभल देना भी आपराधिकृत माना जाता है। चुनाव के दौरान मतदान के लिए दिए जाने वाले प्रलोभन किसी भी प्रकार से हो सकती है। जैसे नगद रुपए, सामान, वाहन सेवा भवन किसी भी प्रकार से जो वोट देने वाले व्यक्ति को प्रतिफल रूप में प्रभावित करें। ऐसे में धारा 171 के अन्तर्गत एक वर्ष की सजा का प्रावधान है।
आचार संहिता का उल्लंघन- आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करना भी अपराध की श्रेणी में ही आता है। जो कोई सामान्य रूप से अचार-संहिता का उल्लंघन करेगा तो उसके खिलाफ धारा 188 के अन्तर्गत कार्रवाई की जाएगी।