डेस्क: भारत दुनिया भर में अपने अनोखी परंपराओं के कारण पहचाना जाता है। वेशभूषा, खानपान और विविधताओं से भरे हमारे देश में एक मंदिर ऐसा भी जहां, जहां प्रवेश पाने के लिए पुरुषों को महिलाओं की तरह 16 श्रृंगार करना पड़ता है। यह मंदिर केरल के कोल्लम जिले में स्थित है। जिसे कोट्टनकुलंगरा देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है।
पुरुषों को इस मंदिर में मां के दर्शन पाने के लिए महिलाओं के वेश में आना पड़ता है। इसके पीछे एक आनोखी मान्यता है। जिसे सदियों से लोग मानते चले आ रहे हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में सिर्फ महिलाएं और किन्नर ही प्रवेश कर सकते हैं।
क्या है पौराणिक मान्यता?
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार कुछ चरवाहे जंगल में गाय चरा रहे थे। तभी उन्हें एक विशाल शिला दिखी। शिला को देखकर किसी चरवाहे ने उस पर नारियल फेंका, जैसे ही नारियल शिला से टकराया तो वहां से खून की धार वहने लगी। यह देख सभी चरवाहे भयभीत हो गए। जिसके बाद उन्होंने पास के गांव में रहने वाले एक ज्योतिषी को इसकी जानकारी दी।
ज्योतिषी ने लोगों को बताया कि यहां पर साक्षात वन देवी विराजमान हैं। जिसके बाद सभी गांव वालों में महिलाओं की वेशभूषा पहन कर वन देवी मां की पूजा प्रारंभ की। बाद में इसी स्थान पर कोट्टनकुलंगरा देवी मंदिर बनवाया गया। जो आज देश भर में प्रसिद्ध है।
पुरुष करते हैं 16 शृंगार
क्योंकि पहली बार गांव के पुरुषों ने महिलाओं का वेश बना कर कोट्टनकुलंगरा देवी की पूजा की थी। इसीलिए यह परंपरा आज भी चली आ रही है। मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी पुरुष 16 शृंगार करके के बाद मातारानी की पूजा करता है। उसे नौकरी, धन के साथ-साथ सुंदर और सुशील पत्नी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस मंदिर में केरल के प्रसिद्ध चाम्याविलक्कू त्योहार के दिन विशेष पूजा होती है।
इस दिन बड़ी संख्या में पुरुष महिलाओं की तरह 16 शृंगार कर मां पर कोट्टनकुलंगरा देवी की पूजा करते हैं। महिलाओं की तरह पुरुष साड़ी पहनते हैं और बालों में गजरा लगाते हैं। जिससे मां प्रसन्न होती हैं। इसके अलावा यहां बड़ी संख्या में महिलाएं और किन्नर भी मां की पूजा करने आते हैं और मनोवांछित वर को प्राप्त करते हैं।
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नोट- उपरोक्त जानकारी धार्मिक मान्यताओं के आधार पर लिखी गई है।