लखनऊ के अकबर नगर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माण पर लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी के विध्वंस को बरकरार रखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को पूरे क्षेत्र का सर्वे करने का भी आदेश किया है। वहीं, कोर्ट ने LDA से कहा है कि जब तक लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था ना हो जाए, तब तक उनको बेघर न किया जाए।
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जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के विचार पर सहमति जताते हुए कहा कि, हम हाईकोर्ट से सहमत हैं कि कॉलोनी का निर्माण बाढ़ क्षेत्र पर किया गया है और याचिकाकर्ताओं के पास कोई दस्तावेज या स्वामित्व नहीं है और इसका दावा प्रतिकूल कब्जे पर आधारित है। इस प्रकार हम आक्षेपित फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं।
जस्टिस संजीव खन्ना ने आज सुनवाई के दौरान कहा कि प्रभावित निवासियों को अतिक्रमणकारियों की तरह ही वैकल्पिक आवास मिल रहा है। हम हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर रहे।
बता दें कि बीती 6 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अकबर नगर में अवैध निर्माण को खाली करने का आदेश देते हुए कहा था कि वहां के निवासी सरकारी भूमि पर अनाधिकृत कब्जेदार थे। वहीं कोर्ट ने इसे ध्वस्त करने से रोक लगाने वाली याचिका खारिज कर दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।