महाराणा प्रताप जयंती पर विशेष: देश के वीर योद्धाओं में शुमार मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप की शौर्य गाथा बच्चे-बच्चे की जबान पर रहती है। महाराणा प्रताप का युद्ध कौशल अद्भुत था। महाराणा प्रताप ने जीवन में बड़ा संघर्ष किया, लेकिन कभी भी उन्होंने दुश्मनों के आगे घुटने नहीं टेके। उनकी वीरता ने देश के सामने कई बेहतर आदर्श प्रस्तुत किए।
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महाराणा प्रताप ने केवल राजस्थान ही नहीं, बल्कि पूरे भारत की शान को एक खास मुकाम तक पहुंचाया। महाराणा प्रताप ने कभी भी गुलामी की जंजीरों में बंधना स्वीकार नहीं किया। उन्होंने अपनी सेना से कई गुना ज्यादा ताकतवर अकबर की सेना से लोहा लेकर दिखा दिया, कि वे ही सही मायनों में महाराणा थे। मुगल शासक अकबर ने महाराणा प्रताप को शिकस्त देने की बहुत कोशिशें की, लेकिन वो अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सका।
हल्दीघाटी का युद्ध रहा सबसे चर्चित
9 मई 1540 को मेवाड़ के कुंभलगढ़ में जन्मे महाराणा प्रताप,, उदय सिंह द्वितीय और महारानी जयवंता बाई के सबसे बड़े बेटे थे। वे 16वीं शताब्दी के राजपूत शासकों में से एक थे। उस दौर में महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हुआ हल्दीघाटी का युद्ध सबसे ज्यादा चर्चित रहा। इस युद्व को लेकर तमाम तरह के तथ्य भी सामने आए। वो युद्ध महाभारत युद्ध की तरह ही विनाशकारी माना गया। इस युद्ध में न तो अकबर की विजय हुई और ना ही महाराणा की हार। युद्ध में मुगलों के पास भारी सैन्य शक्ति होने के बावजूद महाराणा प्रताप विरोधियों के हजारों सैनिकों पर भारी पड़े।
अकबर को जीवन भर रहा महाराणा प्रताप को ना झुका पाने का मलाल
कई इतिहासकारों ने अपनी-अपनी पुस्तकों में अलग-अलग तथ्य रखे हैं। मुस्लिम आक्रांता अकबर के दरबारी कवि अब्दुल रहमान ने अपनी एक पुस्तक में लिखा कि “इस दुनिया में सभी चीज खत्म होने वाली है। धन-दौलत खत्म हो जाएंगे, मगर महान इंसान के गुण हमेशा जिंदा रहेंगे।” उन्होंने लिखा कि “महाराणा प्रताप ने धन-दौलत को छोड़ दिया लेकिन अपना सिर कभी नहीं झुकाया। प्रताप की अटल देशभक्ति को देखकर अकबर की आंखों में आंसू थे। उसे सारी जिंदगी इस बात का मलाल रहा कि वह महाराणा प्रताप को कभी झुका नहीं पाया।”
महाराणा प्रताप की राष्ट्रभक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब उनका निधन हुआ, तब तक वे अपने मेवाड़ साम्राज्य को काफी सुरक्षित कर चुके थे।