Prayagraj News- इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर दाखिल 18 सिविल वादों की सुनवाई की जा रही है। मंगलवार को मंदिर पक्ष की अधिवक्ता रीना एन सिंह ने पक्ष रखा। इन्होंने कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद का अवैध निर्माण किया गया है। बताते चलें कि भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव सहित 18 सिविल वादों की सुनवाई न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन कर रहे हैं। अगली सुनवाई 15 मई को होगी।
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले की सुनवाई चल रही है। जिसमें मंदिर पक्ष की अधिवक्ता ने कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद का अवैध निर्माण किया गया है। जमीन का स्वामित्व कटरा केशव देव का है। बिना स्वामित्व अधिकार के वक्फ बोर्ड ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया। किस कानूनी प्रक्रिया में यह घोषणा की गई, उसका कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि भवन पुरातत्व विभाग से संरक्षित घोषित है, किंतु जमीन का मालिकाना हक उसे नहीं है। इससे स्थल का धार्मिक चरित्र तय नहीं किया जा सकता।
एएसआई ने नजूल भूमि माना है। इसलिए इसे वक्फ सम्पत्ति नहीं कह सकते। अधिवक्ता ने कहा कि जमीन व सम्पत्ति पर मस्जिद पक्ष का कोई हक नहीं है। पुरातत्व विभाग द्वारा भवन को ऐतिहासिक धरोहर कहा गया है। राष्ट्रीय महत्व का माना गया है। इसलिए यह मुकदमा भी राष्ट्रीय महत्व का है। यह भी कहा कि पुरातत्व विभाग से संरक्षित क्षेत्र में बिना केंद्र सरकार की अनुमति के कोई निर्माण नहीं किया जा सकता।
वहीं मंदिर मस्जिद पक्ष के बीच कथित समझौते पर कहा कि इसका सम्पत्ति पर अधिकार से कोई सरोकार नहीं है। समझौता सम्पत्ति के मालिक देवता के साथ नहीं हुआ है। यह भी कहा कि जहां कथित मस्जिद है वह योगिनी माता का मंदिर रहा है। वास्तव में वह मस्जिद है ही नहीं। हिंदू मंदिर पर अवैध कब्जा कर मस्जिद बनाई गई है। उन्होंने विष्णु पुराण का जिक्र किया कहा कि मंदिर का निर्माण चार बीघा जमीन पर भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र बज्रनाभ ने बनवाया था। जिसे केशव देव मंदिर कहां गया, जिसकी परिक्रमा की जाती थी। औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर मस्जिद का ढांचा खड़ा किया है। जिस पर वक्फ बोर्ड का कोई हक नहीं है।
बता दें कि इससे पहले मस्जिद पक्ष की अधिवक्ता अहमदी ने ऑनलाइन बहस करते हुए सिविल वाद के कथनों की व्याख्या की। इस मामले में न्यायालय ने मस्जिद पक्ष की तरफ से दाखिल सिविल वादों की पोषणीयता पर की गई आपत्ति की सुनवाई कर रही है। मस्जिद पक्ष वादों को प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट एवं मियाद कानून से बाधित मानते हुए खारिज करने की मांग कर रहा है, तो वहीं मंदिर पक्ष आपत्ति को निराधार बताते हुए जमीन कटरा केशव देव की होने के आधार पर साक्ष्य इकट्ठा करने के लिए शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे कराने की मांग कर रहा है।