नई दिल्ली: भारत को पहलवानों का देश कहा जाता है। देश के न सिर्फ पुरुष पहलवानों ने बल्कि महिला पहलवानों ने भी दुनिया भर में अपना लोहा मनवाया है। यही कारण है कि ओलंपिक खेलों में भारत को हमेशा से ही मेडल मिलते रहे हैं। हालांकि, आक्रांता मुगल आए और उन्होंने देश में ऐसी स्थिति पैदा कर दी, जिससे महिलाओं को मिले समानता के अधिकार छिनते चले गए। यही कारण है भारत में एक दौरा ऐसा भी आया जब सिर्फ पुरुष ही पहलवानी और कुश्ती कर सकते थे। कोई सोच भी नहीं सकता था कि महिला भी पहलवानी कर सकती हैं। लेकिन, उस दौर में इस सब से हट कर एक ऐसी महिला कुश्ती के अखाड़े में उतरी, जिसके सामने कोई पुरुष पहलवान टिक नहीं पाया।
दरअलस, हम बात कर रहे हैं देश की सबसे पहली पेशेवर महिला पहलवान हमीदा बानो की। आज उनकी चर्चा इस लिए हो रही है, क्योंकि गूगल ने 4 मई 2024 को हमीदा बानो डूडल के जरिए याद किया है। उनका जन्म यूपी के मिर्जापुर में हुआ था। हमीदा बानो ने 1940-50 के दशक में पुरुष पहलवानों को चुनौती देते हुए कहा था कि जो भी मुझे कुश्ती में हरा देगा, उससे साथ मैं शादी कर लूंगी।
पहली बार जब पुरुष पहलवान को हराया
शायद उस समय के पुरुष पहलवानों ने हमीदा बानो की इस चुनौती को हल्के में लिया। 1937 में उनकी इस चुनौती को लाहौर के पहलवान फिरोज खान ने स्वीकार किया। फिर हमीदा और फिरोज खान के बीच दंगल हुआ। जिसने हमीदा बानो को दुनिया भर में पहचान दिलाई। इस दंगल में हमीदा बानो ने फिरोज खान को बुरी तरह से हराया। जिसके बाद देश-दुनिया में उनकी चर्चा होने लगी। हमीदा का यह पुरुष पहलवानों के साथ यह आखिरी मुकाबला नहीं था, पहलवान फिरोज खान को हराने के बाद उन्होंने कोलकाता में प्रसिद्ध पहलवान खड़ग सिंह को हराया। बाद में वह कई अन्य पुरुष पहलवानों को दंगल में पटखनी देती रहीं।
दिन भर खाती रहती थीं हमीदा
बताया जाता है कि हमीदा बानो का वजन 107 किलो और लंबाई 5 फिट 3 इंच थी। शरीर के हिसाब से उनकी डाइट भी खूब थी। कहते हैं कि वह प्रतिदिन 6 लीटर दूध, 3 से 4 लीटर सूप और 3 लीटर फलों का जूस पीती थीं। इसके अलावा वह प्रतिदिन 3 से चार किलो नॉनवेज, 8 से 10 अंडे रोटी-सब्जी बिरयानी और प्रतिदिन 450 ग्राम मक्खन खाती थीं। प्रतिदिन 9 घंटे सोना और 6 घंटे एक्सरसाइज करना उनकी दिनचर्या में शामिल था। कहा जाता है सोने और एक्सरसाइज करने के समय को छोड़ कर वह दिन भर खाती ही रहती थीं।
रूस के पहलवान को दी पटखनी
साल1954 आने तक हमीदा बानो दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गईं। लेकिन, कुछ लोगों ने यह भ्रम फैलाया कि वह दंगल में डमी पुरुष पहलवानों से लड़ती हैं। इसी लिए उनको जीत मिलती है। लेकिन. लोगों की यह गलतफहमी तक दूर हो गई, जब उन्होंने रूस के फेमस पहलवान वीरा चस्तेलिन को सिर्फ एक मिनट में पटखनी दे दी। इससे लोग चकित रह गए। इस घटना के बाद पहलवानों के दिल में हमीदा बानो के प्रति डर बैठ गया।
उस समय के चर्चित पहलवान छोटा गामा ने प्रतियोगिता प्रारंभ होने से पहले ही दंगल में उतरने से मना कर दिया था। देश भर में हमीदा पहलवान की चर्चा थी, जिसके चलते यूरोप के लोगों ने उन्हें वहां पहलवानी करने के लिए बुलाया। उन्होंने भी जाने का मन बना लिया। लेकिन उनके ट्रेनर नहीं चाहते थे कि वह यूरोप जाएं। कहा जाता है तब ट्रेनर सलाम पहलवान ने हमीदा बानों का डंडा मारकर एक पैर तोड़ दिया था। यही से उनके करियर का ग्राफ नीचे गिरता गया।