Ayodhya News- राममंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या से 84 कोसी परिक्रमा की शुरुआत की गई। परिक्रमा 24 अप्रैल से अयोध्या से दो अलग-अलग स्थान से निकली गई। इसमें बड़ी संख्या में साधु-संत शामिल हुए। 25 दिनों तक चलने वाली परिक्रमा 15 मई को संपूर्ण होगी। यह यात्रा यूपी के 5 जिलों के 107 गांवों से होकर गुजरेगी। बताते चलें कि परिक्रमा की 84 कोसी-परिधि रामनगरी की पौराणिकता का गवाह है।
शास्त्रों के अनुसार रामनगरी में तीन परिक्रमा का वर्णन है। इसमें कार्तिक-शुक्ल एकादशी को चौदह-कोसी परिक्रमा, कार्तिक-शुक्ल नवमी को पंच-कोसी परिक्रमा और चैत्र-मास में 84-कोसी परिक्रमा शामिल है। बताते चलें कि चौदह-कोसी व पंच-कोसी परिक्रमा रामनगरी की परिधि में ही होती है। जबकि 84-कोसी परिक्रमा की शुरुआत बस्ती के मखधाम (मखौड़ा) से होती है। यह यात्रा पांच जिलों का सफर तय करते हुए अयोध्या में सम्पूर्ण होती है।
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जानिए क्या है 84-कोसी परिक्रमा की मान्यता
श्री अयोध्या-धाम चौरासी कोस परिक्रमा धर्मार्थ सेवा संस्थान के अध्यक्ष महंत गयादास के अनुसार हिंदुओं में 84 लाख योनियों में भटकने से बचने के लिए अयोध्या की 84-कोसी परिक्रमा की मान्यता है। उन्होंने बताया कि राजा दशरथ के समय की अयोध्या 84 कोस में फैली थी। इसे रामनगरी की सांस्कृतिक सीमा कहा जाता है। भगवान राम से जुड़े पौराणिक स्थल 84 कोसी परिक्रमा पथ के इर्द-गिर्द स्थित हैं। परिक्रमा के रास्ते में 21 पड़ाव आते हैं। विहिप के शरद शर्मा ने कहा कि 84 कोसी परिक्रमा के दौरान कई ऋषि-मुनियों की तपस्थली मिलती है। जहां से आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। उन्होंने बताया कि यह समाज को एक-सूत्र में बांधने का अभिनव प्रयास है, सनातन धर्म की आस्था का प्रकटीकरण है।