Varanasi News- श्रीलंका के मूल निवासियों का भारतीयों के साथ घनिष्ठ आनुवंशिक संबंध है। बीएचयू सहित 5 संस्थानों के 10 शोधकर्ताओं ने व्यापक आनुवंशिक अध्ययन के बाद ये रिपोर्ट साझा की गई है। इस खास शोध रिपोर्ट को अमेरिका की जानी-मानी शोध पत्रिका माइटोकॉन्ड्रियान ने भी इसे आज के अंक में स्थान दिया है। महत्वपूर्ण अध्ययन में शोधकर्ताओं ने श्रीलंका के मूल निवासी ने आनुवांशिक इतिहास के बारे में महत्वपूर्ण खुलासा किया है।
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इस अनुवांशिक अध्ययन में पांच लाख से ज्यादा म्युटेशन और 37 माइटोकॉन्ड्रियल जीनोम का व्यापक विश्लेषण किया गया। इस अध्ययन ने श्रीलंका में सबसे पहली बसावट और भारत के बीच प्राचीन आनुवंशिक संबंधों को दर्शाया है। अध्ययन के वरिष्ठ लेखकों में से एक और सीएसआईआर-सीसीएमबी, हैदराबाद के जेसी बोस फेलो डॉ के थंगराज ने बताया की “वेद्दा, जो श्रीलंका के मूल निवासी हैं, ने अपनी अनूठी भाषाई और सांस्कृतिक विशेषताओं के कारण लंबे समय से वैज्ञानिकों और इतिहासकारों को समान रूप से आकर्षित किया है। लेकिन उसके इस प्रवासन पर कोई अनुवांशिक अध्ययन अभी तक उपलब्ध नहीं था। इस प्रकार के पहले बड़े आनुवांशिक अध्ययन ने उनकी आनुवंशिक उत्पत्ति और भारतीय आबादी के साथ समानता के रहस्यों को उजागर किया है।”
काशी हिंदू विश्वविद्यालय प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने कहा कि शोध के मुख्य निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि भले ही वेद्दा की भाषा किसी भी भारतीय जाति या जनजाति से न मिलती हो, लेकिन उनका डीएनए भारत के लोगों के साथ एक महत्वपूर्ण आनुवंशिक संबंध साझा करता है। उन्होंने कहा कि हमारे ऑटोसोमल म्युटेशन विश्लेषण वेद्दा और भारतीय जनजातियों के बीच एक करीबी आनुवंशिक संबंध दिखा रहे हैं, जो भारत भाषाई विविधता के पूर्व से ही हजारों वर्ष पुराने इतिहास की ओर इशारा करते है।
कोलंबो विश्वविद्यालय की डॉ रुवंडी रणसिंह ने कहा कि “माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए विश्लेषण भी भारत और श्रीलंका के एक साझा आनुवंशिक विरासत की धारणा को मजबूत करते हुए, एक प्राचीन लिंक के अस्तित्व का समर्थन करता है। वेद्दा आबादी श्रीलंका के सिंहली और तमिल लोगों के साथ कम और भारत के साथ अनुवांशिक रूप से ज्यादा जुडी हुई है।