लखनऊ: देश भर में लोकसभा चुनाव का बिगुल बन चुका है। आज 19 तारीख को पहले चरण का मतदान भी प्रारंभ हो चुका है। पहले चरण में यूपी की 8 लोकसभा सीटों के लिए मतदान हो रहा है। हालांकि, अभी भी प्रदेश में कई लोकसभा क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां से भाजपा, सपा और बसपा ने अपने-अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा नहीं की है। जिसमें से एक बहुचर्चित लोकसभा सीट कन्नौज भी है। यहां से सपा ने अभी तक अपने प्रत्याशी के नाम का एलान नहीं किया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि यहां से स्वयं समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनाव लड़ सकते हैं।
हालांकि, अखिलेश यादव कन्नौज से चुनाव लड़ने को लेकर खुल कर कुछ नहीं कह रहे हैं। लेकिन, इशारों-इशारों में वह कई बार यहां से लोकसभा चुनाव लड़ने की बात दोहरा चुके हैं। वह कई बार पत्रकारों से वार्ता करते हुए कन्नौज को अपना घर बता चुके हैं। अखिलेश ने कन्नौज को लेकर कहा था कि यहां से हमारे परिवार का दशकों से नाता रहा है। तभी से इन कयासों को बल मिला कि वह इस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। इसी कड़ी में वह गुरुवार को वह कन्नौज पहुंचे थे। अखिलेश यादव ने यहां पार्टी कार्यालय पर कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की। साथ ही उन्होंने कई गांवों का दौरा भी किया।
अगर बात कन्नौज लोकसभा क्षेत्र की करें तो यह समाजवादी पार्टी की गढ़ माना जाता रहा है। 1998 से 2014 तक यहां से सपा के प्रत्याशी जीतते रहे हैं। 1999 में कन्नौज से मुलायम सिंह यादव सांसद बने। इसके बाद उन्होंने त्यागपत्र दे दिया। सन् 2000 में जहां उपचुनाव हुआ, जिसमें अखिलेश यादव ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की। 2012 में प्रदेश में सपा की सरकार बनी और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री चुने गए। जिसके बाद उन्होंने कन्नौज लोकसभा सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया। फिर यहां हुए उपचुनाव में डिंपल यादव निर्विरोध सांसद निर्वाचित हुईं।
2014 में देश भर में मोदी लहर चल रही थी। इसके बाद भी सपा कन्नौज लोकसभा सीट बचाने में कामयाब रही। लेकिन, 2019 के लोकसभा चुनाव डिंपल यादव सपा का यह मजबूत गढ़ नहीं बचा सकीं। यहां भगवा दल के सुब्रत पाठक ने डिंपल यादव को चुनाव हराते हुए कमल खिलाया।
कन्नौज लोकसभा क्षेत्र के अगर जातीय समीकरण की बात करें तो यहां मुस्लिम मतदाता करीब 16 प्रतिशत, यादव करीब 16 फीसदी, ब्राह्मण लगभग 15% , राजपूत लगभग 10% व अन्य जातियों के मतदाताओं की संख्या 39 प्रतिशत है।