Lucknow News: उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को गुरुद्वारा नाका हिण्डोला में खालसा सृजन दिवस पर प्रदेशवासियों को बैसाखी पर्व की बधाई एवं शुभकामनाएं दी। सीएम ने कहा हम सभी के लिए बैसाखी का यह पावन पर्व खालसा पंथ की स्थापना दिवस के रूप में प्रेरणा और प्रकाश का स्रोत है। इसके पूर्व, मुख्यमंत्री जी ने गुरुद्वारा पहुंचकर सर्वप्रथम श्री गुरुग्रंथ साहिब के समक्ष मत्था टेका। सीएम ने कहा आज ही के दिन सन् 1699 में गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज ने देश और धर्म की रक्षा के लिए शक्तिपुंज के रूप में खालसा पंथ की स्थापना की।
गुरु महाराज की कृपा से खालसा पंथ दुनिया में धर्म की ध्वजा पताका को बिना रुके बिना डिगे व बिना झुके बड़े गौरव के साथ आगे बढ़ाने का कार्य कर रहा है। सीएम ने कहा जब देश और धर्म की सुरक्षा खतरे में पड़ी तो गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज ने जाति, वर्ग के भेदभाव से परे एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था की आवश्यकता का अनुभव किया जो संपूर्ण समाज को सुरक्षा व संरक्षण प्रदान कर सके। तत्कालीन कुरीतियों का सामना करते हुए यह दुरुह कार्य संपन्न करना था। यही खालसा पंथ की स्थापना का आधार बना। खालसा पंथ का स्थापना दिवस संपूर्ण समाज के लिए अनुकरणीय बना।
गुरु गोबिन्द सिंह एवं अन्य सिख गुरुओं ने देश और धर्म की रक्षा के लिए जो योगदान दिया वह न केवल उस समय के लिए बल्कि वर्तमान परिस्थितियों और भविष्य के लिए प्रेरणा का एक महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु है। गुरु गोबिन्द सिंह के चारों पुत्र देश और धर्म की रक्षा के लिए बलिदान हो गए। गुरु गोबिन्द सिंह ने किसी प्रकार का दुःख न प्रकट करते हुए बड़े गर्व के साथ कहा कि चार मुये तो क्या मुआ, जीवित कई हजार।
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सीएम योगी ने कहा कि गुरु गोबिन्द सिंह महाराज के 4 साहिबजादों की स्मृति को वीर बाल दिवस के रूप में मनाने की सिख बांधुओं की दशकों पुरानी मांग को पूरा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 दिसम्बर की तिथि वीर बाल दिवस के रूप में पूरे देश में आयोजित करने का निर्णय लिया। हम सभी इस निर्णय का अभिनंदन करते हैं और प्रधानमंत्री के प्रति आभार भी व्यक्त करते हैं। यह हमारे युवाओं के लिए नई प्रेरणा है कि देश और धर्म के लिए जो भी योगदान देगा समाज उसके प्रति इसी रूप में नतमस्तक होगा। हम सभी वीर बाल दिवस पर गुरु गोबिन्द सिंह के 4 साहिबजादों की स्मृतियों को नमन करते हैं।
सीएम ने आगे कहा कि हम सभी जानते हैं कि देश के विभाजन की क्या कीमत होती है। गुरु नानक देव जी के पावन स्थल करतारपुर साहिब जाने के लिए अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता था। उसे एक कॉरिडोर के रूप में विकसित करने का कार्य प्रधानमंत्री के आने के पश्चात सम्भव हो पाया। करतारपुर साहिब को नया स्वरूप देकर लोगों को अतीत के साथ जोड़ने तथा गुरु परम्परा के प्रति सम्मान का भाव प्रकट करने के लिए यह कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ है।
कहा कि यह देश सिख गुरुओं के देश और धर्म के लिए योगदान के प्रति सदैव कृतज्ञता ज्ञापित करता रहेगा। सिख गुरुओं का उस कालखंड में योगदान आज भी हम सभी में नई ऊर्जा का संचार करता है। हम सभी जब तक गुरु परंपरा का अनुसरण करेंगे तथा उनके आदेशों का पालन करते हुए आगे बढ़ेंगे तब तक हम सफलता की नई ऊंचाइयां प्राप्त करते रहेंगे। और जब भी हम अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए उनकी अवहेलना करेंगे तो इस समाज को पतन से कोई नहीं बचा पाएगा।
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