नई दिल्ली: भारतीय नौसेना 6 मार्च को लक्षद्वीप द्वीप समूह में INS जटायु को तैनात करने जा रही है। भारत सरकार ने यह निर्णय विरोधियों की सैन्य व वाणिज्यिक गतिविधियों पर नजर रखने के लिए लिया है। मालदीव से रिश्ते खराब होने के बाद नौसेना ने लक्षद्वीप द्वीप समूह में अपनी ताकत को बढ़ा रही है। लक्षद्वीप अरब सागर में भारतीय मिनिकॉय द्वीप मालदीव से सिर्फ 507 किलोमीटर दूर है।
6 मार्च को एडमिरल आर हरि कुमार INS जटायु की करेंगे तैनाती
नेवी 6 मार्च को नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार की उपस्थिति में नौसेना डिटैचमेंट मिनिकॉय को आईएनएस जटायु के रूप में तैनात करेगी। यह नौसेना बेस रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। नौसेना डिटैचमेंट मिनिकॉय की स्थापना 1980 के दशक के शुरुआत में परिचालन कमान के तहत की गई थी।
नौसेना की क्षमता में होगी वृद्धि
कमांडर विवेक मधवाल ने बताया कि मिनिकॉय, लक्षद्वीप का सबसे दक्षिणी द्वीप है, जो संचार की महत्वपूर्ण समुद्री लाइनों (एसएलओसी) तक फैला हुआ है। अपेक्षित बुनियादी ढांचे और संसाधनों के साथ एक स्वतंत्र नौसेना इकाई की स्थापना से द्वीपों में भारतीय नौसेना की क्षमता में वृद्धि होगी। यह बेस परिचालन पहुंच को बढ़ाएगा और पश्चिमी अरब सागर में एंटी-पायरेसी एवं एंटी नारकोटिक्स ऑपरेशंस की दिशा में सुविधा प्रदान करेगा।
आईएनएस जटायु की तैनाती से लक्षद्वीप समूह में पैठ मजबूत होगी
कमांडर विवेक मधवाल ने कहा कि यह क्षेत्र में पहली कार्रवाई करने वाले के रूप में भारतीय नौसेना की क्षमता बढ़ाने के साथ ही मुख्य भूमि के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाएगा। नौसेना बेस की स्थापना द्वीपों के व्यापक विकास की दिशा में भारत सरकार के फोकस के अनुरूप है। कावारत्ती में आईएनएस द्वीप रक्षक के बाद आईएनएस जटायु लक्षद्वीप में दूसरा नौसेना बेस है। आईएनएस जटायु के तैनात किए जाने के साथ भारतीय नौसेना लक्षद्वीप समूह में अपनी पैठ मजबूत करेगी। इससे परिचालन निगरानी के साथ-साथ द्वीप क्षेत्रों के व्यापक विकास के एक नए युग की शुरुआत होगी।
विरोधियों के सैन्य और वाणिज्यिक गतिविधियों पर रखी जाएगी नजर
नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह बेस अंडमान और निकोबार द्वीप क्षेत्रों में तैनात आईएनएस बाज की तरह ही क्षमता प्रदान करेगा। इससे हमें क्षेत्र में विरोधियों की सैन्य और वाणिज्यिक गतिविधियों पर नजर रखने में मदद मिलेगी। लक्षद्वीप और मिनिकॉय द्वीपों पर नौसैनिक और हवाई सुविधाओं के उन्नयन से न केवल भारतीय समुद्री वाणिज्य सुरक्षित होगा, बल्कि बुनियादी ढांचे का उन्नयन भी होगा। इस कदम से केरल के पश्चिम में 400 किमी दूर स्थित द्वीप शृंखला में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। आईएनएस जटायु लक्षद्वीप द्वीप समूह में सुरक्षा और बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के रूप में मील का पत्थर साबित होगा।