Varanasi News: वाराणसी जनपद के सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में काशी तमिल संगमम के उद्देश्य को आगे बढ़ाने की दृष्टि से ‘संस्कृत-तमिल’ शोध पीठ की स्थापना होगी। इस शोधपीठ की स्थापना से दोनों पक्षों के विद्यार्थियों और शिक्षकों को नवीन ऊर्जा के साथ नित्य नवीन नवाचार और अन्वेषण से समृद्ध ज्ञान राशि का आदान-प्रदान होगा।
दोनों स्थानों के शिक्षकों और विद्यार्थियों का तालमेल भी जुड़ेगा। एक दूसरे की संस्कृतियों और आत्मिक भावनाओं का जुड़ाव होगा। मंगलवार को यह जानकारी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने दी।
प्रो. बिहारी लाल शर्मा “विश्वविद्यालय विकास समिति” की बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एक भारत श्रेष्ठ भारत” की भावना को बढ़ाने की शृंखला में यह पीठ महत्वपूर्ण होगी।
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भारत एक अनोखा राष्ट्र है, जिसका निर्माण विविध भाषा, संस्कृति, धर्म, हिंसा और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित स्वतंत्रता संग्राम तथा सांस्कृतिक विकास के समृद्ध इतिहास द्वारा एकता के सूत्र में बांध कर हुआ है। एक साझा इतिहास के बीच आपसी समझ की भावनाओं ने विविधता में एक विशेष एकता को सक्षम किया है।
जो राष्ट्रवाद की एक लौ के रूप में सामने आती है जिसे भविष्य में पोषित और अभिलाषित करने की शृंखला में “संस्कृत तमिल” शोध पीठ की स्थापना करने का संकल्प है।
कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि काशी तमिल संगमम का उद्देश्य देश की दो सबसे महत्वपूर्ण और प्राचीन शिक्षा पीठों, तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने संबंधो की पुष्टि को और प्रगाढ़ बनाने की दृष्टि से संस्कृत- तमिल शोधपीठ की स्थापना मुख्य उद्देश्य है।
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