देश को दो नए चुनाव आयुक्त मिल गए हैं। निर्वाचन आयोग में आयुक्तों के खाली पड़े दो पदों के लिए ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू के नाम पर मुहर लग गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में चयन समिति ने इनकी नियुक्ति पर अपनी सहमति दे दी है।
इस चयन समिति में पीएम नरेंद्र मोदी के अलावा केंद्रीय मंत्री अमित शाह, अर्जुनराम मेघवाल और अधीर रंजन चौधरी शामिल थे। दरअसल चयन समिति में लोकसभा में विपक्ष के नेता भी शामिल होते हैं। निचले सदन में फिलहाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी विपक्ष के नेता हैं। बता दें कि निर्वाचन आयोग में दो चुनाव आयुक्तों के पद खाली थे। इनमें फरवरी महीने में अनूप चंद्र पांडेय रिटायर हुए थे। इसके बाद अभी हाल ही में अरुण गोयल के इस्तीफे के बाद से ये दो पद खाली हो गए थे।
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निर्वाचन आयोग के बारे में जानकारी
संविधान के अनुच्छेद-324 में चुनाव आयोग के बारे में बताया गया है। देश में केंद्रीय चुनाव आयोग है, फिर हर प्रदेश के लिए राज्य चुनाव आयोग होते हैं। ये चुनाव आयोग ही लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा से लेकर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति तक के चुनाव के लिए जिम्मेदार संस्था है। सबसे बड़ा अधिकारी मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) होता है और उनके अंडर में चुनाव आयुक्त (EC) होते हैं। लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव का ऐलान होने के बाद आचार संहिता लागू होती है और फिर पूरे प्रशासनिक तंत्र की जिम्मेदारी चुनाव आयोग के हाथों में आ जाती है। राज्य में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राज्यपाल करते हैं।
CEC और EC का कार्यकाल
मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दोनों निर्वाचन आयुक्तों का कार्यकाल 6 वर्ष के लिए होता है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष और चुनाव आयुक्तों की 62 वर्ष होती है। चुनाव आयुक्त का पद और वेतनमान भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के ही सामान होता है। मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद द्वारा महाभियोग के जरिए ही हटाया जा सकता है या फिर वह खुद अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं।