गुवाहाटी: ISIS से कनेक्शन होने के मामले में गिरफ्तार IIT गुवाहाटी के छात्र तौसीफ़ अली फ़ारूक़ी को लेकर कई खुलासे हुए हैं। फिलहाल तौसीफ़ अली 10 दिनों के लिए पुलिस की रिमांड पर है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तौसीफ़ अली फ़ारूक़ी खुरासान जा कर ISIS में शामिल होना चाहता था। उसने यह इच्छा एक ई-मेल के जरिए जताई थी। इस मेल को प्राप्त करने वालों में से एक असम स्पेशल टास्क फोर्स के प्रभारी पुलिस महानिरीक्षक भी थे।
ISIS से प्रभावित छात्र तौसीफ़ अली फ़ारूक़ी आईआईटी गुवाहाटी में बायोटेक्नोलॉजी के चौथे वर्ष का छात्र है। वह मूल रूप से दिल्ली के जाकिर नगर का रहने वाला है। फ़ारूक़ी के सहपाठी, कॉलेज फैकल्टी, परिवार के सदस्यों और जांचकर्ता का उसको लेकर अलग-अलग कहना है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि उनके माता-पिता अलग हो चुके हैं। उनके बड़े भाई ने भी IIT कानपुर से स्नातक की पढ़ाई की है, जो वर्तमान में अपना स्टार्टअप चलाता है।
असम के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि फ़ारूक़ी एक बहुत बुद्धिमान छात्र है। हालांकि, उसने ई-मेल लिख कर ISIS में शामिल होने की इच्छा क्यों जताई? हम अभी इसकी पुष्टि नहीं कर पाए हैं। इस तरह से ISIS में शामिल होने की घोषणा करने के पीछे उसकी मंशा क्या थी, हम इसको लेकर अभी कुछ नहीं कह सकते।
तौसीफ़ अली फ़ारूक़ी के हॉस्टल के एक छात्र ने बताया कि बी.टेक के तीसरे और चौथे वर्ष के छात्रों को छात्रावास में व्यक्तिगत कमरे दिए जाते हैं। इसलिए उसका 2 वर्षों से कोई भी रूममेट नहीं था। आईआईटी गुवाहाटी के एक अधिकारी ने बताया कि फ़ारूक़ी एक औसत से ऊपर का छात्र है जो एक महीने में स्नातक हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस घटना ने पूरे संस्थान को आश्चर्यचकित कर दिया है।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कल्याण कुमार पाठक ने बताया कि आरोपी छात्र को एकांकी जीवन जीना पसंद है। वह अपने तक ही सीमित रहने वाले छात्रों में से एक है। उन्होंने कहा कि वह केवल क्लास लेने के दौरान ही अपना कमरा छोड़ता था। उसके मित्रों की संख्या बहुत ही सीमित है। पुलिस का कहना है कि ऐसा प्रतीत होता है कि उसके IIT में प्रवेश लेने से पहले ही वह “इस्लामिक” विचारों का अध्ययन करता रहा है।
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आरोपी छात्र डार्क वेब माध्यम से इंटरनेट पर सक्रिय था। पुलिस ने दावा किया है कि उसके कमरे से कई संदिग्ध चीजें तब्त की गई हैं जिसमे से एक काला झंडा भी है। पुलिस का कहना है कि प्रथण दृष्टया यह झंडा आईएसआईएस के झंडे के समान ही प्रतीत होता है। लेकिन जांच एजेंसियां ही इसकी पुष्टि करेंगी कि यह झंडा किस संगठन का है।