श्रीलंका को कच्चातिवु द्वीप दिए जाने का मुद्दा इस समय जोरों पर है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसको लेकर कांग्रेस और डीएमके को जमकर घेरा है। अपनी प्रतिक्रिया के दौरान विदेश मंत्री ने कहा कि कच्चातिवु का ये मुद्दा अचानक से सामने नहीं आया है। संसद में अक्सर इस पर बहस की जाती है। विदेश मंत्री ने कांग्रेस और डीएमके पर निशाना साधते हुए कहा कि कच्चातिवु मुद्दे पर ऐसा रुख अपनाया गया, जैसे उनकी कोई जिम्मेदारी ही नहीं थी।
एस जयशंकर ने आगे कहा कि तमिलनाडु के सीएम एम के स्टालिन ने मुझे कई बार लिखा और मैंने 21 बार इस मसले पर उनको जवाब भी दिया। उन्होंने कहा कि भारत और श्रीलंका ने 1974 में एक समझौता किया, जिसके तहत कच्चातिवु श्रीलंका के पास चला गया। एस जयशंकर ने दावा करते हुए कहा कि इससे भारतीय मुछआरों के हितों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि पिछले 20 सालों में 6,184 भारतीय मछुआरों को श्रीलंका ने हिरासत में लिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्रियों ने इस भारतीय क्षेत्र के प्रति ऐसी उदासीनता दिखायी, जैसे उन्हें कोई परवाह ही नहीं थी।
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कच्चातिवु को लेकर क्या है विवाद ?
दरअसल मछली पकड़ने के लिए तमिलनाडु के रामेश्वरम जैसे इलाकों के मछुआरे कच्चातिवु द्वीप की ओर जाते हैं। भारतीय जल क्षेत्र में मछलियां खत्म होने पर ये मछुआरे अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा पार कर जाते हैं। जिसके बाद श्रीलंका की नौसेना उन्हें हिरासत में ले लेती है।
कहां स्थित है कच्चातिवु द्वीप ?
कच्चातिवु द्वीप,,हिंद महासागर के दक्षिणी छोर पर स्थित है। ये द्वीप रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच में है। 285 एकड़ में फैला ये द्वीप 17वीं सदी में मदुरई के राजा रामानंद के राज्य का हिस्सा था। अंग्रेजों के शासनकाल में ये मद्रास प्रेसीडेंसी के पास आ गया। इसके बाद 1921 में भारत और श्रीलंका ने मछली पकड़ने के लिए इस द्वीप पर अपना-अपना दावा ठोका, लेकिन उस वक्त इस मुद्दे पर कुछ खास नहीं हो सका। लेकिन फिर स्वतंत्रता के बाद समुद्र की सीमाओं को लेकर 1974 से 1976 तक चार समझौते हुए।
समझौते में श्रीलंका को सौंप दिया गया था ये द्वीप
1974 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और श्रीलंका की राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके के बीच इस द्वीप को लेकर समझौता हुआ था। 26 जून 1974 और 28 जून 1974 में दोनों देशों के बीच दो दौर की बातचीत हुई। ये बातचीत कोलंबो और दिल्ली दोनों जगहों पर हुई थी। बातचीत के बाद कुछ शर्तों पर सहमति बनी और कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया गया। इसमें एक शर्त ये भी थी कि भारतीय मछुआरे जाल सुखाने के लिए इस द्वीप का इस्तेमाल करेंगे। इसके साथ ही द्वीप पर बने चर्च पर जाने के लिए भारतीयों को बिना वीजा इजाजत होगी, लेकिन एक अन्य शर्त के मुताबिक भारतीय मछुआरों को इस द्वीप पर मछली पकड़ने की इजाजत नहीं दी गई थी।