हेपेटाइटिस वैसे तो एक वायरस जनित बीमारी है, जिसका उपचार किसी सीमा तक उपलब्ध है लेकिन फिर भी प्रदेश में हेपेटाइटिस के मरीज़ बड़ी संख्या में लिवर कैंसर की चपेट में आ रहे हैं। लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के मुताबिक हेपेटाइटिस बी और सी के मरीज़ों में लिवर कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं। इनमें हेपेटाइटिस बी के मरीज़ों की संख्या ज़्यादा है। डॉक्टरों का कहना है कि आज से दस साल पहले तक महीने में लिवर कैंसर के 1-2 मरीज़ आते थे लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 15-20 हो गई है। के.जी.एम.यू. के गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ सुमित रूंगटा का कहना है कि हेपेटाइटिस सी ठीक हो सकती है लेकिन हेपेटाइटिस सी के मरीज़ों को आजीवन दवाओं पर निर्भर रहना पड़ता है। आज कल लिवर कैंसर के जो भी मरीज़ आ रहे हैं उनमें हेपेटाइटिस की हिस्ट्री ज़्यादा मिल रही है। कई मरीज़ों में दवा खाने पर हेपेटाइटिस ठीक हो जाता है लेकिन लिवर सिरहोसिस बना रहता है। यही कुछ वर्षों में लिवर कैंसर में तब्दील हो जाता है। वहीं हेपेटाइटिस बी के मरीज़ जब तक दवा खाते रहते हैं तब तक ठीक रहते हैं, लेकिन दवा बंद करने के कुछ समय बाद लिवर कैंसर के शिकार हो जाते हैं।
धीरे धीरे बढ़ रही रोगियों की संख्या: के.जी.एम.यू. में 10 साल पहले तक महीने में लिवर कैंसर के 1से 2 मरीज़ आते थे, फिर 5 साल पहले यह संख्या बढ़कर 3-4 हो गई जबकि हाल फिलहाल में ये संख्या बढ़कर 15-20 प्रति माह हो गई है। चूंकि हेपेटाइटिस एक वाइरस जनित बीमारी है, इसलिए सार्वजनिक जीवन में इससे बचाव के लिए कुछ खास नहीं किया जा सकता, लेकिन इसके पता लगते ही यदि नियमित उपचार लें तो किसी किसी स्थिति में यह ठीक भी हो जात है किसी स्थिति में आपको जीवन भर दवाएं लेनी पड़ सकती हैं। तो इसका पता लगते ही तत्काल किसी विशेषज्ञ से सलाह लें और उसके मुताबिक उपचार करवाएं।