1980 में हुए मुरादाबाद दंगे की सच्चाई 43 साल बाद सबके सामने आई है। दंगे के लिए मुस्लिम लीग के दो नेताओं डॉ शमीम अहमद और डॉ हामिद हुसैन को जिम्मेदार माना गया है। हिंदुओं को फंसाने और सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के लिए इस दंगे की साजिश रची गई थी।
मंगलवार को यूपी विधानसभा में योगी सरकार की तरफ से पटल पर रखी गई इस दंगे की रिपोर्ट में कई अहम खुलासे हुए।
रिपोर्ट में बताया गया कि मुस्लिम लीग के दो नेताओं डॉ शमीम अहमद और डॉ हामिद हुसैन की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की वजह से यह दंगा भड़का। रिपोर्ट के मुताबिक ईदगाह और अन्य स्थानों पर गड़बड़ी पैदा करने के लिए कोई भी सरकारी अधिकारी, कर्मचारी या हिंदू संगठन जिम्मेदार नहीं था। रिपोर्ट के अनुसार डॉ शमीम अहमद के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग और डॉ हामिद हुसैन उर्फ डॉक्टर अज्जी के समर्थकों और भाड़े पर लगाए गए लोगों ने पूरी घटना को अंजाम दिया था। यह दंगा पूरी तरह से पूर्व नियोजित था। रिपोर्ट के मुताबिक नमाजियों के बीच में सूअर धकेल दिए गए थे। इसके बाद अफवाह फैलने पर मुसलमानों ने पुलिस चौकी और हिंदुओं पर अंधाधुंध हमला कर दिया था। इसके परिणामस्वरूप दंगा भड़क गया था।
जिस वक्त ये दंगा हुआ था, उस वक्त यूपी में वीपी सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार थी। ये दंगा ईद के दिन शुरू हुआ था। जांच आयोग ने नवंबर 1983 में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी, लेकिन पहले की तमाम सरकारों ने कभी इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया। इस दंगे में 83 लोग मारे गए थे, जबकि 112 लोग घायल हुए थे। घटना की जांच के लिए एकल सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया था।