गुरूवार को रेप इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि पॉक्सो SC-ST ऐक्ट के तहत कई बार झूठी FIR दर्ज होती हैं। ऐसा कई बार सरकार से मुआवजा लेने के लिए किया जाता है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ये टिप्पणियां एक रेप केस में आरोपित को जमानत देने के दौरान कीं। अदालत ने केंद्र, राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि ऐसे केस झूठे पाए जाने पर जांच के बाद पीड़ित के खिलाफ धारा 344 की कार्यवाही करें और मुआवजे के पैसे की वसूली की जाए।
इलाहाबाद उच्च न्यायलय के जज शेखर यादव की बेंच ने दुष्कर्म के एक आरोपी को अग्रिम बेल देते हुए कहा, ‘यौन हिंसा के इस प्रकार के अपराधों की व्यापक और दैनिक बढ़ती व्यापकता को देखते हुए, मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि उत्तर प्रदेश राज्य और यहां तक की भारत संघ को भी इस गंभीर मुद्दे के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। कोर्ट ने कहा ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ महिलाएं इस कानून का पैसे वसूलने के हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं। इस पर रोक लगाई जानी चाहिए।’ न्यायलय ने दुष्कर्म के आरोपी को सशर्त अग्रिम जमानत पर 50 हजार रूपए के निजी मुचलके व दो प्रतिभूति लेकर गिरफ्तारी के समय रिहा करने का भी आदेश दिया है।