प्रयागराज- गंगा प्रदूषण मामले को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को स्थानांतरित करने के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है। इसकी सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में करने की मांग की गई है। हालांकि कोर्ट ने इसके लिए अभी तिथि तय नहीं की है। कहा जा रहा है कि अगले हफ्ते में सुनवाई हो सकती है।
पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट लगातार 2006 से सुन रहा था। 16 साल बाद इसे एनजीटी को स्थानांतरित कर दिया गया है। यह गंगा भक्तों से जुड़ा मामला है। इसकी सुनवाई एनजीटी द्वारा किया जाना असम्भव है।
हाईकोर्ट में गंगा प्रदूषण का मामला 2006 से विचाराधीन है। राज्य सरकार की आपत्ति की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने जनहित याचिका अधिकरण को अपने आदेश के तहत जुलाई में स्थानांतरित कर दिया है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर की अगुवाई में तीन जजों की पूर्ण पीठ कर रही थी। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कहा था कि गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया है। गंगा प्रदूषण सहित इससे जुड़े सभी मामलों की सुनवाई के लिए एनजीटी का गठन किया गया है। वैकल्पिक उपचार के नाते गंगा से जुड़ी इस याचिका को भी अधिकरण में सुनवाई के लिए भेजा जाय।
हालांकि याची अधिवक्ता ने इसका विरोध किया था। कहा था कि गंगा प्रदूषण के अलावा शहर की अन्य समस्या भी याचिका से जुड़ी है। लगभग एक दर्जन याचिकाओं की एक साथ सुनवाई होती है। यमुना प्रदूषण मामला भी जुड़ा हुआ है। सरकार कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं कर रही है। इसलिए तकनीकी आधार पर याचिका की सुनवाई टालने की कोशिश की जा रही है। गंगा प्रदूषण मामले की याचिका स्वामी हरि चैतन्य ब्रह्मचारी ने दाखिल की थी। किंतु बाद में कोर्ट ने इसे गंगा प्रदूषण मामले के रूप में तब्दील कर सुनवाई जारी रखी।