अयोध्या- रामजन्मभूमि मन्दिर निर्माण के साथ अयोध्या को भी सजाया जा रहा है। राम नगरी के रामायण कालीन कुंडों को भी सजाया जा रहा है। एक तरफ भगवान राम का भव्य मंदिर आकार ले रहा है तो दूसरी तरफ अयोध्या की संस्कृति और सभ्यता को भी संजोया जा रहा है।
अफीम कोठी को अब ‘साकेत सदन’ के नाम से जाना जाएगा
अयोध्या को राम नगरी का पौराणिक स्वरूप प्रदान करने में लगी योगी सरकार ने अब ऐतिहासिक भवन ‘दिलकुशा महल’ का नाम ‘साकेत भवन’ कर दिया है। नवाब शुजाउद्दौला ने इसका निर्माण कराया था। जिसे दिलकुशा महल कहा जाता था। अंग्रेजों ने सत्ता हस्तांतरण के बाद इसे नारकोटिक्स विभाग को सौंप दिया था। रामनगरी के पुनर्विकास में शामिल दिलकुशा महल जिसे अफीम कोठी के नाम से जाना जाता है। अब इतिहास का हिस्सा हो गया है। अफीम कोठी को अब ‘साकेत सदन’ के नाम से जाना जाएगा।
धार्मिकता के साथ-साथ भगवान राम की नगरी अयोध्या पर्यटन की दृष्टि से भी विश्व के मानचित्र पर स्थापित हो रही है। शायद यही वजह है कि अफीम कोठी में अंग्रेजी शासन में काल में भवन का नाम यहां अफीम रखे जाने के कारण अफीम कोठी रख दिया गया था। नवाब शुजाउद्दौला ने इसका निर्माण कराया था। जिसे दिलकुशा महल कहा जाता था। अब अवध के नवाब शुजाउद्दौला की हवेली का कायाकल्प किया जाएगा। इसे पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाया जाएगा। इतना ही नहीं हवेली के पुनरुद्धार का काम पर्यटन विभाग ने शुरू कर दिया।
उल्लेखनीय है कि चौदहकोसी परिक्रमा मार्ग पर धारा रोड मोहल्ले में अफीम कोठी स्थित है। इस स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस क्षेत्र को हेरिटेज लुक प्रदान किया जा रहा है। इसके पुनर्विकास की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कॉरपोरेशन लिमिटेड को सौंपी गई है। यह भवन अब ‘साकेत सदन’ के नाम से जाना जाएगा। ‘साकेत सदन’ का पुनरुद्धार प्राचीनता को सहेजते हुए किया जा रहा है। रामनगरी में किसी ऐतिहासिक भवन का नाम बदले जाने का यह पहला मामला है। हालांकि इससे पूर्व योगी सरकार बनने के बाद सबसे पहले जिले का नाम फैजाबाद से बदल कर अयोध्या हुआ। उसके बाद फैजाबाद जंक्शन का नाम परिवर्तित कर अयोध्या कैंट किया गया। अब दिलकुशा महल से अफीम कोठी हुई ऐतिहासिक इमारत का नाम साकेत सदन कर दिया गया है। मंडलायुक्त गौरव दयाल ने अफीम कोठी का नाम बदले जाने की पुष्टि की है।
परियोजना की लागत 1682.87 लाख
क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी आरपी यादव ने बताया कि साकेत सदन की मरम्मत का काम किया जा रहा है। जिसमें सिर्फ चूने, सुर्खी का प्रयोग किया जा रहा है। जिस रूप में पहले ये भवन था पुनः उसी रूप में लाने का प्रयास किया जा रहा। पार्क का भी कायाकल्प होना है। इस परियोजना की लागत 1682.87 लाख रूपये का है। यह कार्य 6 जून, 2023 को शुरू हो गया था, जिसकी पूर्ण करने की अवधि एक वर्ष की है यानि 5 जून 2024 तक भवन तैयार हो जाने का अनुमान है।