सेवानिवृत्त प्राचार्य व वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. अजय अनुपम ने साझा किए आजादी के समय मिले अनुभव
मुरादाबाद- 15 अगस्त 1947 को देश जब आजाद हुआ तो खुशी में पूरा शहर सोया नहीं था। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक में गजब की खुशी और उत्साह था। हर तरफ भारत माता की जय, इंकलाब जिंदाबाद के नारे गूंज रहे थे। अंग्रेजों के झंडे उतारकर तिरंगा लगा दिया गया था। यह कहना है मुरादाबाद के सिविल लाइन्स क्षेत्र में रहने वाले सेवानिवृत्त प्राचार्य व वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. अजय अनुपम का।
डाॅ. अजय अनुपम ने बताया कि देश की आजादी के समय वह 10 वर्ष के थे। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में सभी ने एक दूसरे के साथ मिल कर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। जब आजादी मिली तो उस दिन पूरे शहर में खुशी थी। हर गली, मोहल्ले में भारत माता की जय, हिंदू-मुस्लिम, सिख इसाई आपस में सब भाई-भाई के नारे लगा रहे थे। घरों पर लोगों ने तिरंगे झंडे फहराए। फूलों और कागज की रंग बिरंगी झंडियों से शहर में कई जगह सजावट की गई थी।
सभा में लोग एकत्र न हों सकें, इसके लिए अंग्रेज करते थे लाठीचार्ज : डाॅ. अजय अनुपम ने बताया कि मेरे माता-पिता बताते थे कि ब्रिटिश हुकूमत के दौर में देश के अनेकों महापुरुषों की सभाएं मुरादाबाद में टाउनहाल, बुध बाजार आदि स्थानों पर हुईं। इन सभाओं में लोग एकत्र न हों सकें इसके लिए अंग्रेज लाठीचार्ज करते थे। उनकी न्याय व्यवस्था भी ऐसी थी कि किसी गांव में अगर कोई कत्ल हो जाता तो बिना किसी सबूत के शक के आधार पर पकड़ कर फांसी चढ़ा देते थे।
सिनेमाघरों में फिल्मों के शो मुफ्त कर दिए गए थे
डाॅ. अजय अनुपम ने बताया कि हमने अंग्रेजों को शहर से जाते देखा है। शहर की हर सड़कों पर आजादी का जुलूस निकला था। बुध बाजार के सिनेमाघरों में फिल्मों के शो मुफ्त कर दिए गए थे। आज काफी कुछ बदल गया है लेकिन जो कभी नहीं बदलेगा, वह है आजादी का उत्सव, उसके पीछे का संघर्ष और गणतंत्र घोषित होने की खुशियां।
रेडियो से पता चला कि संविधान लागू हो गया
डाॅ. अजय अनुपम ने बताया कि रेडियो से पता चला कि हमारे देश का संविधान लागू हो गया है। हर नागरिक को कुछ विशेष अधिकार दिए गए हैं। इसे सुनकर तीन साल पहले (1947) की यादें ताजा हो गईं जब हमें आजादी मिली थी। मुझे याद है रेडियो पर सुने गए वो शब्द, जब देश के पहले भारतीय गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने भारत को संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया। डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारतीय गणतंत्र के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई गई थी। उन्हें तोपों की सलामी दी गई थी।