कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम करवा रहे हैं कल्कि धाम मंदिर का निर्माण
प्रयागराज- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि निजी संपत्ति पर मंदिर बनाने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत संरक्षित है। ऐसा निर्माण किसी अन्य समुदाय की धार्मिक संवेदनाओं को ठेस नहीं पहुंचा सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि जिस भूखंड पर मंदिर का निर्माण प्रस्तावित है और उसके पास एक मस्जिद मौजूद है, इससे यह आशंका उत्पन्न नहीं होती कि सांप्रदायिक शांति या सार्वजनिक व्यवस्था खराब हो जाएगी और निजी भूखंड पर मंदिर बना तो समस्याएं बढ़ जाएंगी।
कोर्ट ने मौजूदा मामले में जिला पंचायत संभल को याची के अभ्यावेदन पर उचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया है। यह निर्देश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय और न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह प्रथम की खंडपीठ ने कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोदकृष्णम की ओर से दाखिल याचिका को निस्तारित करते हुए की है।
याचिका में जिला मजिस्ट्रेट संभल के आदेश को चुनौती दी गई थी। याची अपनी निजी भूमि पर मंदिर का निर्माण करना चाह रहे थे। मंदिर निर्माण के लिए उन्होंने जिला मजिस्ट्रेट की स्वीकृति नहीं ली थी इसलिए, जिला मस्जिट्रेट ने अपने आदेश में उन्हें कोई भी निर्माण करने या नींव रखने से रोक लगा दी थी।
याची अचोरा कंबो गांव में अपनी निजी संपत्ति पर कल्कि धाम मंदिर की नींव रखने की योजना बनाई थी। मुस्लिम किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने इसका विरोध करते हुए जिला मजिस्ट्रेट से शिकायत की थी। इस पर जिला मस्जिट्रेट ने रोक लगाने की कार्रवाई की थी। याची ने जिला मजिस्ट्रेट से अपने आदेश को वापस लेने की मांग की लेकिन जिला मस्जिट्रेट ने उसे खारिज कर दिया। कहा था कि संभल एक सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र है और प्रस्तावित मंदिर के निर्माण का एक धार्मिक समूह द्वारा विरोध किया जा रहा है जो क्षेत्र में कानून और व्यवस्था को बिगाड़ सकता है। इसलिए, याचिकाकर्ता संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता का दावा नहीं कर सकता है। इसके साथ वहां पास में एक मस्जिद मौजूद है और कुछ धार्मिक नेताओं का इसको लेकर विरोध है।
याची ने जिला मस्जिट्रेट के आदेश को चुनौती दी। कहा कि जिला मस्जिट्रेट का आदेश अनुमानों पर आधारित है और याची को भूखंड पर मंदिर बनाने से रोकने के लिए आदेश में तथ्यों और कारणों के समर्थन में कोई सबूत नहीं है। कोर्ट ने कहा कि जिस भूखंड में मंदिर बनाया जाना प्रस्तावित है। उसके मालिकाना हक को लेकर किसी तरह का विवाद नहीं है। रिकॉर्ड पर कुछ ऐसा नहीं है कि मुस्लिम समुदाय का कोई भी बड़ा वर्ग मंदिर के निर्माण के विरोध में था और यदि ऐसा है भी तो यह किसी भी व्यक्ति द्वारा मंदिर निर्माण मात्र है जो किसी अन्य समुदाय की धार्मिक संवेदनाओं को ठेस नहीं पहुंचा सकता है। इससे सार्वजनिक व्यवस्था भंग हो जाएगी। कोर्ट ने मामले में जिला पंचायत संभल को याची के द्वारा दाखिल नक्शे के आधार पर उचित आदेश पारित करने का आदेश दिया है।