चाँद की सतह पर भारत ने सफलता पूर्वक निर्धारित तिथि व समय पर कदम रख दिया है। देश भर में खुशी का माहौल है। वहीं ISRO ने आधिकारिक रूप से एक और सफलता के बारे में जानकारी दे दी है। इसरो ने ट्वीट करके बताया कि चंद्रयान 3 के लैंडर के साउथ पोल पर उतरने के बाद अलग-अलग प्रयोग करने वाला रोवर ‘प्रज्ञान’ भी रैंप के जरिए लैंडर से चाँद पर उतर चुका है।
ISRO और अशोक चिन्ह चाँद पर उकेरेगा प्रज्ञान
बता दें पृथ्वी की अपेक्षा चाँद पर ग्रैविटी बहुत कम है। इस वजह से लैंडर के चांद पर उतरने के करीब ढाई घंटे बाद रोवर बाहर आया। चूंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि लैंडर के उतरने से जो धूल उड़ेगी जबतक वो बैठेगी नहीं तबतक रोवर को लॉन्च नहीं कर सकते। ग्रैविटी कम होने के कारण ये धूल उतनी तेजी से नीचे नहीं बैठेगी जितनी तेजी से पृथ्वी पर बैठती है। वहीं रोवर के बाहर निकलते ही चांद की जमीन पर प्रज्ञान ने सैर शुरू कर दी है। रोवर प्रज्ञान में 6 पहिए हैं। यह रोबोटिक व्हीकल अपने मिशन को अंजाम देगा। प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर जैसे-जैसे आगे बढ़ेगा वह भारत के निशानों को चांद की सहत पर उकेरेगा। यह ISRO के लोगो और भारत के प्रतीक अशोक स्तंभ को चांद पर उकेरेगा।
ISRO के साथ संचार लिंक स्थापित
इसकी वीडियो भी सामने आई है। इसमे ‘विक्रम’ लैंडर के चाँद की सतह पर उतरने के कुछ घंटों बाद रोवर को बाहर निकलते हुए दिखाया गया है। बता दें कि रोवर प्रज्ञान के बाहर निकलने के साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने लैंडर के साथ एक संचार लिंक भी स्थापित कर लिया है, जो अब चंद्रमा की जानकारी जुटा पाएगा। इसरो ने कहा, चंद्रयान-3 लैंडर और बेंगलुरु स्थित ISRO के संचार केंद्र MOX-ISTRAC के बीच संचार लिंक स्थापित हो गया है।
लोगों में इसके भार को जानने की उत्सुकता भी है तो बात दें कि चंद्रयान-3 में एक प्रोपल्शन मॉड्यूल है जिसका वजन 2,148 किग्रा, एक लैंडर विक्रम जिसका भार 1,723.89 किग्रा और एक रोवर प्रज्ञान जिसका भार 26 किग्रा लैंडर के भार में शामिल है। इसमें से लैंडर और रोवर ने ही चांद पर कदम रखा है।