दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के नोएडा में पुलिस ने बड़ी धोखाधड़ी, जालसाजी और ऑनलाइन ठगी करने वाले फर्जी कॉल सेंटर का भड़ाफोड़ किया है। ये कॉल सेंटर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन ठगी की घटना को अंजाम देकर एक दिन में 30 से 40 लाख की कमाई कर रहा था। नोएडा के थाना फेज- 1 पुलिस ने कॉल सेंटर से 84 लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें 46 युवकऔर 38 युवतियाँ शामिल हैं। वहीं फर्जी कॉल सेंटर चलाने वाले 2 सरगना फरार हैं।
स्पार्क फैक्टर टैक्नोलाजीज नाम का फर्जी कॉल सेंटर
पुलिस ने घटना स्थल से 20 लाख नगद, 150 कंप्यूटर, 13 मोबाइल फोन, एक बड़ा सर्वर, राउटर और एक कार बरामद की है। इस घटना का खुलासा करते हुए नोएडा पुलिस के डिप्टी कमिश्नर हरीश चंदर ने बताया कि इस कॉल सेंटर को हर्षित चौधरी व योगेश पुजारी नाम के लोग मिलकर चला रहे थे। सूचना मिली थी कि प्रतिदिन विदेशी नागरिकों से लाखों रुपये कॉल सेंटर के द्वारा ठगे जा रहे हैं। ये लोग एजेंट/कॉलरों के माध्यम से विदेशी नागरिकों से बात कर धोखाधड़ी करते थे। सूचना के आधार पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए स्पार्क फैक्टर टैक्नोलाजीज नामक कॉल सेंटर पर छापा मारा और आरोपियों को गिरफ्तार किया।
रोज 30 से 40 लाख रुपये की ठगी
नोएडा पुलिस के डिप्टी कमिश्नर हरीश चंदर ने मीडिया को जानकर दी कि ‘पुलिस को कुछ दिन पूर्व अमेरिकी नागरिकों को कॉल सेंटर द्वारा ठगने की सूचना मिली, जो सेक्टर-6 में संचालित होता है। इसके बाद मामले में फेज-1 पुलिस और साइबर सेल की टीम ने जांच कर बुधवार को सेक्टर-6 के A-18 में चल रहे फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा किया। सभी गिरफ्तार लोग दिल्ली-NCR में किराये पर रहते हैं। वे एक हफ्ते में 2 से 3 दिन काम करते थे। आरोपी हर रोज 30 से 40 लाख रुपये की ठगी करते थे।
डार्क वेव से मिल रहा था डाटा
नोएडा पुलिस के डिप्टी कमिश्नर ने आगे बताया कि ‘पकड़े गए साइबर जालसाज सबसे पहले डार्क वेव के जरिए अमेरिकी नागरिकों का प्राइवेट डाटा और सोशल सिक्योरिटी नंबर हासिल करते थे। इसके बाद उनके पास एक सिक्योरिटी डिपार्टमेंट ऑफ अमेरिका के नाम से वाइस ई-मेल भेजकर उनके साथ ठगी करते थे।
विदेश तक जुड़े हैं तयार
नोएडा पुलिस के डिप्टी कमिश्नर हरीश चंदर ने कहा कि ठगों के इस गिरोह के तार विदेश स्थित कई अन्य जालसाजों से जुड़े थे। पुलिस टीमें जांच कर रही हैं। इसकी जानकारी केंद्रीय एजेंसियों और संबंधित देश की एजेंसियों को भी दी जाएगी। गिरोह के अन्य जालसाजों को भी जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
इंटरनेट कॉलिंग से करते थे ठगी
डिप्टी कमिश्नर हरीश चंदर ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी इंटरनेट कॉलिंग के जरिए अमेरिकी नागरिकों से बात करते थे। साथ ही ठगे गए रुपये, जो क्रिप्टोकरेंसी में उनके पास आते थे, ये लोग विदेश में अपने अन्य सहयोगियों को भेज देते थे, जो उन्हें रुपये में बदलते थे।
सामाजिक सुरक्षा संख्या हासिल कर
पुलिस अधिकारी ने बताया जैसे भारतीय भारतीय नागरिकों का आधार नंबर होता है। वेसे ही अमेरिकी नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा नंबर मिलता है। इस नंबर का उपयोग अमेरिकी नागरिक के वित्तीय से लेकर व्यक्तिगत जीवन तक की सभी जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है।
4 महीने पहले खुला था कॉल सेंटर
डिप्टी कमिश्नर हरीश चंदर ने बताया कि इस कॉल सेंटर के सरगनाओं ने चार महीने पहले ही कॉल सेंटर ऑफिस खोला था। उसने अमेरिकी नागरिकों से 500 मिलियन से अधिक की धोखाधड़ी की। पुलिस ने आरोपियों के पास से 150 लैपटॉप-कंप्यूटर, 13 मोबाइल फोन, 20 लाख रुपये नकद, एक कार और अमेरिकी नागरिकों का 42 पेज का डेटा बरामद किया है। आरोपियों ने अमेरिकी नागरिकों को उनकी अवैध गतिविधि में शामिल होने का आरोप लगाते हुए वॉयस ई-मेल भेजे। अगर कोई इनके जाल में फंस जाता तो ये उसे डरा-धमकाकर उगाही कर लेते थे।