मोदी सरकार ने देश में एक चुनाव को लेकर ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के तहत कमेटी गठित कर दी है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इसकी अध्यक्षता करेंगे। अन्य सदस्यों के नाम भी जल्द नोटीफ़िकेशन के माध्यम से सामने आएंगे। यह कदम सरकार द्वारा 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने के एक दिन बाद आया है, जिसका एजेंडा गुप्त रखा गया है। संभव है कि एक देश एक चुनाव पर मोदी सरकार बिल भी ला सकती है। साथ ही वन नेशन, वन इलेक्शन के लिए सरकार आम लोगों से भी राय लेगी।
गौरतलब है कि बीते कुछ सालों से पीएम नरेंद्र मोदी लोकसभा और राज्य के विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की वकालत मजबूती से करते आए हैं। अब इस पर विचार विमर्श करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को कमान सौंपी गई है। बता दें नवंबर-दिसंबर में 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके बाद अगले साल मई-जून में देश में लोकसभा का चुनाव होगा।
क्या है वन नेशन-वन इलेक्शन
वन नेशन-वन इलेक्शन या एक देश-एक चुनाव का मतलब हुआ कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हों। आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।
विपक्ष बोला, ‘लोगों का क्या मत है? वो भी ध्यान दे सरकार’
इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना उद्धव गुट के नेता अनिल देसाई ने मीडिया से कहा, ‘मुझे मीडिया के माध्यम से जानकारी मिल रही है। इस तरह की बातें फैलाना ठीक नहीं है। 5 राज्यों में चुनाव होने वाले हैं सरकार को ये देखना चाहिए कि देश के लोग क्या चाहते हैं, उनके मत को भी ध्यान में रखना चाहिए।’
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद राम गोपाल यादव ने कहा कि संसदीय व्यवस्था की सारी मान्यताओं को यह सरकार तोड़ रही है। अगर विशेष सत्र बुलाना था तो सरकार को सभी विपक्षी पार्टियों से कम से कम अनौपचारिक तौर पर बात करनी चाहिए थी। अब किसी को नहीं पता है कि एजेंडा क्या है और सत्र बुला लिया गया है।