बदायूं
में निजी अस्पताल के एक संचालक ने सोमवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) के सामने
ही जहरीला पदार्थ खा लिया। उसकी हालत बिगड़ने पर जिला अस्पताल ले जाया गया,
जहां से बरेली रेफर
कर दिया गया है। जिसके बाद सीएमओ और विभागीय अधिकारियों पर परिवार वालों ने उत्पीड़न
का आरोप लगाया है।
सिविल
लाइंस थाना क्षेत्र के दहेमी गांव निवासी गौरव पटेल (31) का जिला प्रशिक्षण संस्थान (डायट) के पास
राजश्री नाम से अस्पताल है। गौरव के पिता राजवीर सिंह ने बताया कि पहले अस्पताल
में सरकारी डॉक्टर सेवाएं दे रहे थे। गौरव ने उन्हें हटाकर दूसरे डॉक्टरों को रख
लिया था। इससे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी चिढ़े हुए थे। नौ मार्च को अस्पताल में
एक गर्भवती महिला का ऑपरेशन से प्रसव कराया गया था। खून की कमी पर डॉक्टर ने
परिजनों को इंतजाम करने को कहा था, लेकिन परिवार वाले खून का इंतजाम नहीं कर पाए।
इसके बाद महिला को रेफर कर दिया गया था।
जिसके
बाद परिवार वाले दूसरे अस्पताल ले गए, जहां महिला की मौत हो गई थी। जिसके बाद आधी रात
को परिवार वाले शव लेकर अस्पताल आए और वहां मौजूद कर्मचारियों की पिटाई और अस्पताल
में तोड़फोड़ की। अगले दिन सूचना पर पहुंचे एसीएमओ और नायब तहसीलदार ने अस्पताल
सील कर दिया। गौरव पटेल के खिलाफ महिला के परिजनों ने बिना रजिस्ट्रेशन अस्पताल
चलाने के आरोप में एफआईआर दर्ज करा दी। जबकि अस्पताल का रजिस्ट्रेशन 31 मार्च को खत्म होना
था। अस्पताल सील होने की वजह से नवीनीकरण नहीं हो सका।
गौरव पटेल सीएमओ से मामले
की जांच कराने और अस्पताल सील के कारण 30 हजार रुपये हर महीने किराया दे रहे हैं। इसलिए वह अस्पताल बंद करना चाहते है। लेकिन विभागीय अधिकारी गौरव का उत्पीड़न
करते रहे। जिससे परेशान गौरव ने सोमवार शाम सीएमओ के सामने ही जहरीला पदार्थ खा
लिया। सीएमओ डॉ. प्रदीप वार्ष्णेय ने बताया कि युवक के अस्पताल में एक महिला की
मौत हो गई थी। इस कारण अस्पताल को सील कर दिया गया था। अस्पताल संचालक के खिलाफ
धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज कराने की जानकारी मुझे नहीं है। अस्पताल को इसलिए सील
किया गया था, क्योंकि उसका नवीनीकरण नहीं था।