बांदा के बिसंडा में कोऑपरेटिव बैंक की शाखा ओरन में 5 साल पहले हुए 36 लाख रुपये के गबन के मामले में बैंक कैशियर समेत 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।बुधवार की रात कोऑपरेटिव सेल लखनऊ की तीन सदस्यीय टीम ने पहुंचकर जांच पड़ताल की और गुरुवार को सुबह पुलिस की मदद से बैंक कैशियर और दो कर्मचारियों को गिरफ्तार कराया। आरोपियों को सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
जिला कोऑपरेटिव बैंक के तत्कालीन उप प्रबंधक उदरेज कुमार प्रजापति ने बिसंडा थाने में एक मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें कहा गया था कि 17 अगस्त को वह कैश लेने मुख्यालय की गाड़ी से शाखा ओरन गए तो वहां कैशियर नीरज त्रिपाठी फरार थे और पूरे दिन वे बैंक में नहीं आए। मामला संदिग्ध पाए जाने पर अगले दिन बैंक के सभी लेखा की जांच-पड़ताल की गई। कई गंभीर अनियमितताएं पाए जाने पर मामले की विस्तृत जांच करने की मांग की गई। मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने ओरन शाखा प्रबंधक प्रदीप कुमार कुशवाहा की अध्यक्षता में टीम गठित कर पूरे मामले की जांच कराई। जांच में पाया गया कि बिना अधिकार पत्र या चेक के ग्राहकों के खातों को डेबिट कर शाखा प्रबंधक विजय शुक्ला और कैशियर नीरज त्रिपाठी ने संयुक्त रूप से 31 लाख 53 हजार रुपए का गबन और 63,734 रुपये की वित्तीय गड़बड़ी की। इसके अलावा प्रभारी शाखा प्रबंधक सर्वेश तिवारी और कैशियर नीरज त्रिपाठी ने 4 लाख 19 हजार 900 रुपये का गबन व 2,047 रुपये की वित्तीय गड़बड़ी की।
इस मामले में शाखा प्रबंधक विजय शुक्ला, प्रभारी शाखा प्रबंधक सर्वेश तिवारी और कैशियर नीरज त्रिपाठी के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं की रिपोर्ट बिसंडा थाने में दर्ज कराई गई थी। बुधवार को इसी प्रकरण में कोऑपरेटिव सेल की तीन सदस्यीय टीम राजनाथ यादव की अगुवाई में पहुंची। इस टीम ने रात में ही जांच पड़ताल शुरू कर दी। गुरुवार को सुबह बैंक कैशियर नीरज त्रिपाठी, प्रभारी कैशियर जग प्रसाद व कर्मचारी हरिप्रसाद कुशवाहा को पुलिस की मदद से गिरफ्तार किया गया। फिलहाल तीनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। इस मामले में आरोपी शाखा प्रबंधक विजय शुक्ला और प्रभारी शाखा प्रबंधक सर्वेश तिवारी अब भी फरार बताए जा रहे हैं, जिनकी तलाश की जा रही है।