औरैया के चंबल संग्रहालय के पांचवें स्थापना दिवस पर दो दिवसीय संरक्षित दुर्लभ दस्तावेजों की प्रदर्शनी लगाई गई। समापन समारोह के अतिथि पूर्व कुलपति, प्रधान सचिव, पूर्व सांसद और आईएएस डॉ. भागीरथ प्रसाद ने संग्रहालय का अवलोकन करने के बाद कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान वे देश के बहुत सारे संग्रहालय में गए लेकिन इतना जखीरा मुझे कहीं भी नहीं मिला है जितना चंबल संग्रहालय में है। यहां के आम लोगो के द्वारा दान देकर जिन दुर्लभ चीजों को संरक्षित किया गया है, वह अचंभित करने वाला है।
डॉ. भागीरथ ने कहा कि मैं पहली बार यहां आया हूं। चंबल संग्रहालय की यात्रा और पांच नदियों का संगम देखने के बाद मैं ये दावे के साथ कह सकता हूं कि ये विश्व का सबसे बेहतर पर्यटन स्थल जल्द ही बन जायेगा। यहां पर मैंने चंबल अंचल से जुड़ी सैकड़ों साल पुरानी पुस्तकें, दर्जनों दुर्लभ पत्र, सैकड़ों दुर्लभ दस्तावेज़, इटावा और जालौन के प्राचीन गजेटियर, सैकड़ों दुर्लभ सिक्के जिसमें सोने की अशर्फी, अष्टधातु निर्मित धूम्रपान दंडिका, क्रांतिकारियों के द्वारा प्रयोग की गई लालटेन, हरताल पत्थर, शिलाजीत पक्व पत्थर आदि देखने को मिले। ब्रिटिश कालीन सीमा रक्षण दूरबीन सबसे अद्भुत रही।
समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रसिद्ध इतिहास लेखक देवेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि चंबल घाटी के हर गांव में समग्र इतिहास दबा हुआ है, जिसका लगातार उत्खनन होना जरूरी है। श्री चौहान ने जोर देते हुए कहा कि मैं भी अपनी सामग्री का मोह छोड़ चंबल संग्रहालय को दान कर रहा हूं। कार्यक्रम का संचालन करते हुए चंबल संग्रहालय के संस्थापक डॉ शाह आलम राना ने कहा कि जितनी भी दुर्लभ सामग्री मिल रही है, उसका प्रकाशन किया जाएगा। जब तक चंबल संग्रहालय को स्थाई भवन नहीं मिल जाता, तब तक समय-समय पर पर्यटकों एवं शोधार्थियों के लिए प्रदर्शनी आयोजित की जाती रहेगी।