लखनऊ- विश्वकर्मा योजना के तहत ग्रामीण एवं शहरी भारत के पारंपरिक कारीगरों एवं शिल्पकारों की सहायता के लिए 18 ट्रेड को शामिल किया गया है। बढ़ई (सुतार), नाव निर्माता, अस्त्र बनाने वाला, लोहार-हथौड़ा और टूलकिट निर्माता, ताला बनाने वाला, गोल्ड स्मिथ (सोनार), कुम्हार, मूर्तिकार (पत्थर तराशने एवं तोड़ने वाला), मोची (चर्मकार), जूता कारीगर, मेशन (राजमिस्त्री), टोकरी/ चटाई/झाडू निर्माता/जूट बुनकर, गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारम्परिक), नाई, माला बनाने वाला, धोबी, दर्जी, मछली पकड़ने का जाल बनाने वाला, हलवाई। पात्रता आवेदक की न्यूनतम आयु पंजीकरण के समय 18 वर्ष होनी चाहिए। आवेदक किसी योजना के अन्तर्गत शामिल की गयी विधाओं से सम्बन्धित पारंपरिक शिल्पकार अथवा कारीगर होना चाहिए। आवेदक द्वारा इसके पूर्व राज्य सरकार अथवा केन्द्र सरकार द्वारा संचालित क्रेडिट बेस्ड योजनाओं जैसे पीएमईजीपी, पीएम स्वनिधि, मुद्रा लोन आदि के अन्तर्गत लाभ प्राप्त न किया गया हो। परिवार का केवल एक ही व्यक्ति इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकता है। परिवार का अर्थ पति-पत्नी एवं अविवाहित बच्चों से है। सरकारी कर्मचारी या उनेके परिवार के कोई भी सदस्य इस योजना के अन्तर्गत लाभ लेने के पात्र नहीं होंगे। योजना के विभागीय अधिकारी ने बताया कि चयनित लाभार्थी को 5-7 दिन का प्रशिक्षण एवं 500 रुपये प्रति दिन की दर से स्टाइपेंड देय होगा तथा प्रशिक्षण के बाद टूलकिट हेतु 15000 रुपये ई वाउचर के रूप में प्राप्त होंगे। प्रथम चरण में 1.00 लाख रुपये तक का ऋण एवं द्वितीय चरण में 2.00 लाख रुपये तक का कोलेटरल फ्री ऋण (पाँच प्रतिशत ब्याज की दर से) देय होगा। लाभार्थियों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र एवं पहचान पत्र उपलब्ध कराये जायेगें। आवेदन की प्रक्रिया आवेदक द्वार अपने निकटतम जन सुविधा केन्द्र (सीएमसी) के माध्यम से ऑन लाइन वेब पोर्टल पोर्टल https://pmvishwakarma.gov.in/ पर आवेदन किया जा सकता है।