बागपत में एक दारोगा विनोद कुमार शर्मा ने छुट्टी ना मिल पाने के कारण अपने कप्तान को इस्तीफा सौंप दिया। इस्तीफे का कारण परिवार को समय न देना बताया गया है। दारोगा का कहना है कि छुटटी न मिल पाने के कारण वह अपने परिवार से एक-एक महीने तक नहीं मिल पाता है। परिवार को साथ रखने के बाद भी वह उनको समय नहीं दे पाता। उनका कहना है कि दारोगा की नाैकरी करने वालों को शादी ही नहीं करनी चाहिए।
बालैनी थाने पर तैनात उपनिरीक्षक विनोद कुमार शर्मा तीन वर्ष पूर्व सैमसंग कंपनी में 94 हजार रूपये मासिक के वेतन पर नाैकरी कर रहे थे। उनका सपना था कि कुछ समाज के लिए भी काम हो, जिसके लिए उन्होंने अपनी 94 हजार रूपये मासिक की नौकरी को छोड़कर सीधे दारोगा पद के लिए आवेदन कर नाैकरी पा ली। एक साल की ट्रेनिंग के बाद उन्होंने बागपत कस्बा चौकी से अपने पुलिस करियर की शुरूआत की। विनोद दो साल से अधिक जिले के ललियाना और टटीरी में चौकी प्रभारी रहे। दारोगा विनोद शर्मा जिस जुनून ओर उत्साह से इस पद पर आये थे, उनका भ्रम जल्द ही टूट गया। अधिकारियों का दबाव और दिन रात की भागदौड़, जवाबदेही और उसके बाद भी परिवार के लिए छुटटी न मिलने से उनका मनोबल टूट गया। परिवार दूर होता देख उनका धैर्य जवाब दे गया। अखिरकार उन्होंने परिवार और पुलिस के बीच परिवार को ही महत्व देना उचित समझा। उनका मानना है कि छुटटी मिलते ही परिवार से मिलने की दौड़ में अधिकतर पुलिसकर्मी सड़क दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं। बागपत एसपी अर्पित विजय वर्गीय का कहना है कि उनका इस्तीफा मिला है। दारोगा पुलिस लाइन में थे और यहां काम का कोई ऐसा बोझ नहीं होता। छुटटी भी मिल जाती है। इस्तीफा देना उनका निजी कारण है।