मंगलवार को गाज़ियाबाद नगर निगम की पहली बोर्ड बैठक में जहां एक ओर कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित हुए, वहीं दूसरी ओर कुछ मामलों को लेकर हंगामा भी हुआ। देर रात तक चली इस बैठक में पार्षदों ने अपने क्षेत्र की प्रमुख समस्याएं रखीं, जिनमें सफाई, लाइटिंग और पेयजल की समस्या प्रमुख रही। बैठक के दौरान डॉग पंजीकरण शुल्क बढ़ाने, दुकानों का किराया बढ़ाने, जल एवं सीवर टैक्स का नए सिरे से निर्धारण करने का निर्णय लिया गया। इसके तहत अब कुत्ते पालने के लिए 200 रुपए की जगह 500 रुपए के सालाना भुगतान करने की व्यवस्था की गई है।
महापौर सुनीता दयाल की अध्यक्षता में बैठक के दौरान वार्ड संख्या 100 के पार्षद संजय सिंह ने आरोप लगाया कि इंदिरापुरम को नगर निगम को हैंडओवर ना करके वहां रह रही साढ़े चार लाख की जनता के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। इसकी वजह से पार्षद वहां पर विकास कार्य नहीं करा पा रहे हैं। उनका आरोप था कि इंदिरापुरम जीडीए की कॉलोनी है और उसे प्लानिंग से बसाया गया है, जबकि शहर में 300 से अधिक अवैध कॉलोनियों में नगर निगम लगातार विकास कार्य करा रहा है। उन्होंने कहा कि हैंडओवर को लेकर जीडीए और नगर निगम में बकाए को लेकर विवाद है। निगम पहले अपने द्वारा खर्च की गयी धनराशि को लेना चाहता है, जो करीब ढाई सौ से तीन सौ करोड़ रुपए बैठती है। इसका कार्यकारिणी उपाध्यक्ष राजीव शर्मा ने विरोध जताया। उन्होंने कहा कि जीडीए ने इंदिरापुरम को बसाया है। वहां पर व्यवस्थाएं दुरुस्त करने की जिम्मेदारी जीडीए की है। बिना बकाया रुपये लिए हैंडओवर की प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जाए। इस पर संजय सिंह सहित इंदिरापुरम के अन्य पार्षदों ने विरोध जताया और उन पर हैंडओवर की प्रक्रिया में अड़ंगा डालने का आरोप लगाया। इस बात पर देखते ही देखते हंगामा शुरू हो गया। महापौर ने सदन में कहा कि हैंडओवर की प्रक्रिया को नियम के तहत आगे बढ़ाया जाएगा, वहां पर जीडीए को विकास कार्य कराने होंगे। हालांकि, अब नगर निगम द्वारा पार्षदों को विकास कार्य के लिए जो कोटा दिया जाएगा, उस कोटे को इंदिरापुरम के 5 पार्षदों को भी दिया जाएगा। जिससे वहां पर वह विकास कार्य करा सकेंगे।