जौनपुर में फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे बीते पांच वर्षों से बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी कर रहे शिक्षक को बीएसए डॉ गोरखनाथ पटेल ने बर्खास्त कर दिया है। बीएसए ने बर्खास्त किए गए शिक्षक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश एबीएसए को दिए हैं। बीएसए के इस ठोस कदम से शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है।
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उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी कर रहे फर्जी अध्यापकों पर अब शिकंजा कसता हुआ नजर आ रहा है। जौनपुर के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ गोरखनाथ पटेल ने रामनगर ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय परमलपट्टी में तैनात अध्यापक श्याम नारायण राम की फर्जी अभिलेख के सहारे नौकरी पाने के आरोप में विधिवत जांच कराई।
इस जांच के बाद श्याम नारायण राम को फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे नौकरी करने के मामले में दोषी पाए जाने पर बुधवार को कार्रवाई करते हुए बर्खास्त कर दिया।इसके साथ ही जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने फर्जी शिक्षक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने हेतु खंड शिक्षा अधिकारी रामनगर को निर्देश दिया है।
दरअसल रामनगर के प्राथमिक विद्यालय परमल पट्टी में सहायक अध्यापक श्याम नारायण राम 2018 में उर्दू शिक्षक भर्ती के तहत फर्जी अभिलेखों के आधार पर नौकरी पाने में सफल रहे थे। अभिलेखों के सत्यापन में शिक्षक पात्रता प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया, जिस पर बेसिक शिक्षा विभाग ने प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई शुरू करने के साथ ही संबंधित शिक्षक श्याम नारायण राम की सेवा को समाप्त कर दिया है।
बता दें कि 2017 से फर्जी तरीके से नियुक्त शिक्षकों की गोपनीय जांच एसटीएफ कर रही है। अब तक 37 फर्जी शिक्षकों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। 2020-21 में कुल 105 फर्जी शिक्षकों को चिह्नित कर संबंधित बीएसए के माध्यम से कानूनी कार्रवाई की गई है। एसटीएफ अब तक कुल 149 मामलों में 318 फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई कर चुकी है। एसटीएफ के अधिकारियों के मुताबिक पूरे प्रदेश में तकरीबन 50 हजार फर्जी शिक्षकों के कार्यरत होने का अनुमान है।