यूपी में इस समय बिजली का संकट गहराया हुआ है। प्रदेश को सितम्बर तक ढाई हजार मेगावाट बैंकिंग बिजली मिल रही थी, लेकिन अब वह भी खत्म हो गई है। इंटर और निजी घरानों की कई मशीनों के बंद होने के कारण 3054 मेगावाट बिजली बंद है। स्थिति यह है कि वर्तमान में पीक डिमांड 23500 मेगावाट है, जबकि उपलब्धता लगभग 20000 मेगावाट है। इससे गांव से शहरों तक उपभोक्ताओं को बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है।
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बिजली उपलब्धता की कमी से निपटने के लिए पूरे प्रदेश के गांवों में लगभग पांच घंटे की बिजली कटौती हो रही है। वहीं नगर पंचायत व तहसील क्षेत्र में तीन घंटे की बिजली कटौती करनी पड़ रही है। उपभोक्ता परिषद ने पावर कॉरपोरेशन से मांग की है कि अक्टूबर माह में चलाए जा रहे अनुरक्षण कार्य के चलते विद्युत व्यवधान को तुरंत रोका जाए, क्योंकि वर्तमान में बडे पैमाने पर बिजली कटौती के बाद भी मरम्मत के काम के कारण शटडाउन लेना पड़ रहा है। इससे कई बार 12-12 घंटे तक कटौती हो रही है।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अक्टूबर के महीने में इस साल का सबसे बड़ा बिजली संकट सामने आ रहा है। रोस्टर के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में 18 घंटे बिजली मिलनी चाहिए। दैनिक प्रणाली रिपोर्ट 10 अक्टूबर को जारी आंकड़े के मुताबिक केवल 13 घंटा 11 मिनट बिजली मिली है। यानि लगभग 5 घंटा बिजली कटौती हो रही है।
इसी तरह नगर पंचायत को,, जो 21 घंटा 30 मिनट बिजली मिलनी चाहिए, वह केवल 18 घंटे 6 मिनट मिली है। तहसील को जो 21 घंटे 30 मिनट बिजली मिलनी चाहिए, वह केवल 18 घंटे 26 मिनट बिजली मिली है। इसी प्रकार बुंदेलखंड को जो 20 घंटे बिजली मिलनी चाहिए,, वह केवल 16 घंटे 25 मिनट मिली है। बैंकिंग की जो बिजली सितंबर तक लगभग 2500 से 3000 मेगावाट मिल रही थी। वह अब बंद हो गई है, क्योंकि वह सितंबर तक ही मिलनी थी।
उधर,,सिक्किम से भी 250 मेगावाट की बिजली बाढ़ के चलते नहीं मिल पा रही है। उत्तर प्रदेश में बिजली की उपलब्धता 20000 से 20500 मेगावाट के बीच है। ऐसे में लगभग 3000 हजार से 3500 मेगावाट की बिजली कटौती हो रही है।