नई दिल्ली– राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि भारत में विविधता में एकता नहीं बल्कि एकता की ही विविधता है। इस कारण से हमें एक रहने के लिए किसी आधार की जरूरत नहीं है। इसी एकता का भाव भारत को दुनिया तक पहुंचाना है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (R.S.S.) के सरसंघचालक मोहन भागवत और केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने बुधवार को डॉ अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर के भीम हॉल में आर.एस.एस. के वरिष्ठ प्रचारक श्री रंगा हरि की पुस्तक ‘पृथ्वी सूक्त : धरती माता को एक श्रद्धांजलि’ का विमोचन किया।
सरसंघचालक ने कहा कि अन्य देशों को एक रहने के लिए कोई आधार चाहिए, जैसे ब्रिटेन को भाषा और अमेरिका को आर्थिक संपन्नता एक बनाए हुए हैं। भारत भूमि को पर्वतों और सागर से मिली सीमाओं के कारण वर्षों तक समृद्धि और सुख की प्राप्ति हुई। इसके कारण भारत संघर्ष से ऊपर एकता का ज्ञान प्राप्त कर सका। भारत में जी20 में वसुधैव कुटुंबकम् का दिया भाव हमारे स्वभाव का ही हिस्सा है। उन्होंने श्रीरंग हरि को ज्ञान का उपासक बताया और कहा कि वह सदैव अध्ययनशील रहते हैं। उन्होंने श्रीरंगा हरि की लिखी पुस्तक पृथ्वी सूक्त को पढ़ने का भी आग्रह किया और कहा कि इस पुस्तक में भी उसी मूल एकता का ज्ञान कराया गया है। यही हमें विश्व को बताना है कि पृथ्वी माता है और वह देती है हम उसके मालिक नहीं है।
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इस अवसर पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि भारत का सबसे बड़ा आदर्श एकात्मता का है। इसी का प्राकृतिक कारण है कि हम सब के अंदर एकता को देखते हैं। उन्होंने श्रीरंगा हरि की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह सदैव अध्ययनशील रहते हैं। इस मौके पर प्रज्ञा प्रवाह दिल्ली प्रांत के संयोजक श्रीप्रकाश सिंह और किताबवाले के एम.डी. प्रशांत जैन, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति शांति श्रीपंडित और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह और अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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