Balrampur News: प्रदेश के बलरामपुर जनपद में कल से शुरू हो रहे
शारदीय नवरात्रि को लेकर आज से ही तैयरिया तेज हो गई हैं। 51
शक्तिपीठों में प्रसिद्ध शक्तिपीठ मंदिर
देवीपाटन में कल नवरात्रि के प्रथम दिन मां पाटेश्वरी जी का पूजन करने के लिए, अभी से
ही भक्तों का देवीपाटन पहुंचना शुरू हो गया है।
यहां श्रद्धालुओं के भारी संख्या में पहुंचने
की संभावना है। जिसको लेकर जिला वा मंदिर प्रशासन द्वारा साफ-सफाई के साथ ही सुरक्षा के
व्यापक इंतजाम किए गए हैं। देश दुनिया के विभिन्न श्रद्धालु नवरात्रि
में यहां के देवीपाटन मंदिर पहुंचते हैं। जिसको लेकर पुलिस प्रशासन
द्वारा आज से ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं।
देवी पाटन शक्तिपीठ में पूरे वर्ष श्रद्धालुओं का
आवागमन बना रहता है। यहां चैत्र व शारदीय नवरात्रि में वृहद मेले का आयोजन होता
है। शक्तिपीठ के ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व को देखते हुए लगने वाले इस मेले को
प्रदेश सरकार द्वारा राजकीय मेले का दर्जा प्राप्त है।
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15 अक्टूबर
रविवार से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्रि पर लगने वाले मेले की तैयारी को लेकर
मंडलायुक्त व (DIG) पूर्व में ही बैठक कर अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दे चुके
हैं। रेल प्रशासन श्रद्धालुओं के आवागमन को लेकर दो मेला स्पेशल ट्रेन कल से चलाएगा।
पुलिस क्षेत्राधिकारी राघवेंद्र सिंह ने
बताया कि मंदिर परिसर को सुरक्षा की दृष्टिगत 11
सेक्टर वा दो जोन में बांट दिया गया है। प्रवेश व निकास द्वारों तथा पूरे परिसर के चप्पे-चप्पे
पर पुलिस नजर रख रही है।
मंदिर परिसर में तकरीबन 600 पुलिसकर्मी तैनात
किए गए हैं। मंदिर व पुलिस द्वारा 100 से अधिक सीसीटीवी
कैमरे लगायें गये है। जिसके माध्यम से पूरे परिसर की निगरानी रहेगी।
देवीपाटन पीठाधीश्वर मिथलेश नाथ योगी ने
बताया कि श्रद्धालुओं के भारी संख्या में आगमन को लेकर साफ-सफाई, सुरक्षा पेयजल
सहित विभिन्न बिंदुओं को लेकर मंदिर व जिला प्रशासन द्वारा व्यापक व्यवस्था की गईं है। वह लगातार खुद व्यवस्थाओं की समीक्षा कर रहे हैं।
भागवत, पुराणों की मान्यताओं के अनुसार राजा
दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में पति महादेव का अपमान देख माता सती ने यज्ञ कुंड में
अपने प्राणों की आहुति दी थी। माता सती के वियोग में महादेव शिव माता सती के यज्ञ
में जले शव को कंधे पर रख आकाश में विचरण करने लगे। जिस पर महादेव के वियोग को देख
भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शव को कई भागों में काट दिया।
बताया जाता है कि, जहां-जहां माता के अंग गिरें वहां-वहां शक्तिपीठ स्थापित हो गए हैं। जिनमें 51 शक्तिपीठ प्रमुख
हैं। जानकारों की माने तो देवीपाटन में माता सती का वाम स्कंध पट सहित गिरा था।
यहां मां आदिशक्ति को पाटेश्वरी देवी के रूप में पूजन किया जाता है।