रामनगरी अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने से लेकर रामलला को अस्थायी तम्बू से निकालकर मंदिर में स्थापित करने तक की लड़ाई और राम मंदिर आंदोलन के संघर्ष में अपने जान गंवाने वालों को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने राम की पैड़ी पर दीपदान कर श्रद्धांजलि दी।
ऐसा रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के पहले राम मंदिर आंदोलन में बलिदान होने वाले महानात्माओं की शांति दिलाने के लिए श्रीराम जन्मभूमि परिसर में चल रहा नौ दिवसीय अनुष्ठान शुक्रवार को संपन्न हुआ। अनुष्ठान के बाद 21 ब्राह्मणों को वस्त्र और भोजन दान कर श्राद्ध किया गया। शाम को विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं व वटुक ब्राह्मणों ने श्रीराम जन्मभूमि परिसर से सरयू घाट स्थित राम की पैड़ी तक मशाल जुलूस निकाला।
श्री राम जन्म भूमि ट्रस्ट महासचिव चंपत राय ने कहा कि ‘पितृपक्ष में लोग अपने पूर्वजों के लिए अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। काशी कामकोटि के पीठाधीश्वर ने परामर्श दिया था कि राम मंदिर के लिए बलिदान हुए लोगों की इच्छाएं पूरी हुई हैं। ऐसे लोगों की आत्मा की शांति के लिए यह दीपदान किया गया।’
अयोध्या जी में राम की पैड़ी पर कांची कामकोट पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी विजेंद्र सरस्वती के नेतृत्व में 11 हजार से अधिक दीप प्रज्वलित कर बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कांची कामकोट के पीठाधीश्वर स्वामी विजेयन्द्र सरस्वती ने कहा कि अयोध्या में सरयू तट के पास एक बार फिर प्रभु श्रीराम का अवतार हो चुका है। अयोध्या में बन रहा भव्य मंदिर निर्माण निर्विघ्न रूप से संपन्न हो। राम मंदिर के लिए जिन लोगों ने त्याग किया, ऐसे हुतात्माओं की शांति के लिए पितृपक्ष के दौरान दीपदान किया गया।
विश्व हिन्दू परिषद् के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने जानकरी दी कि इस दौरान नारायण बलि, बाल्मीकि रामायण का पारायण, श्रीरामचरितमानस का पाठ किया गया। इसके उपरांत ब्राह्मण जनों और समाज को भी भोजन कराया गया।
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