उत्तर प्रदेश के मीरजापुर (Mirzapur) में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विन्ध्य दर्शन मेला एप लॉन्च की गई है। रविवार को नवरात्रि के प्रथम दिन केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन रविवार को विन्ध्य दर्शन मेला एप का शुभारम्भ विकास भवन में आयोजित कार्यक्रम में किया।
लॉन्चिंग के दौरान केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने मीडिया से कहा कि ‘विंध्य दर्शन मेला एप पर क्लिक करते ही दर्शन मार्ग पर चिकित्सा, दूरभाष सहायता के लिए, पुलिस सहायता, प्रशासनिक अधिकारियों के दूरभाष नम्बर, खान-पान के लिए होटल व ढाबों, शौचालयों एवं CNG व पेट्रोल पम्प, रेन बसेरा, मेडिकल कैंप आदि की लोकेशन प्राप्त कर की जा सकती है। इससे विंध्याचल आने वाले श्रद्धालुओं को आसानी होगी।’
डीएम प्रियंका निरंजन ने बताया कि हर वर्ष लगभग 40-50 लाख श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी के दर्शन को मीरजापुर (Mirzapur) में प्रवेश करते हैं। भक्तजनों को अपने गणतव्य तक पहुंचने में किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े, इसलिए एक नई पहल करते हुए (Mirzapur) जिला प्रशासन की ओर से विन्ध्य मेला वेब ऐप तैयार कराई गई है। इस दौरान मुख्य विकास अधिकारी श्री लक्ष्मी वीएस आदि मौजूद रहीं।
शारदीय नवरात्र में पहले दिन शैैलपुत्री के दरबार में आस्था का सैला
वहीं वाराणसी में शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन भक्ति का सैलाब उमड़ा। रविवार को बाबा विश्वनाथ की नगरी आदिशक्ति की आराधना में लीन रही। परम्परानुसार लोगों ने अलईपुर स्थित आदि शक्ति भगवती शैलपुत्री के दरबार में हाजिरी लगाई। दर्शन पूजन के बाद लोगों ने घर परिवार में सुख शांति और वंशवेल वृद्धि की गुहार लगाई।
मातारानी के दरबार में लोग रात तीन बजे के बाद ही पहुंचने लगे। दर्शन पूजन के दौरान श्रद्धालु माता रानी के प्रति श्रद्धा का भाव दिखाते रहे। चुस्त दुरुस्त सुरक्षा व्यवस्था के बीच बैरिकेडिंग में कतारबद्ध श्रद्धालु अपनी बारी का इन्तजार मां का गगनभेदी जयकारा लगाकर करते रहे। मंदिर में आये श्रद्धालुओं के चलते आसपास मेले जैसा दृश्य नजर आ रहा था। मंदिर के आस पास पूजा साम्रगी, नारियल चुनरी अड़हुल की अस्थायी दुकानों पर महिलाओ की भीड़ पूजन सामग्री खरीदने के लिए जुटी थी।
शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री के दर्शन की धार्मिक मान्यता है। पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा था। पर्वतराज हिमालय शक्ति-दृढ़ता-आधार व स्थिरता का प्रतीक है। मां शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है। माना जाता है कि मां दुर्गा ने देवासुर संग्राम में प्रथम दिन शैलपुत्री का रूप धारण कर असुरों का संहार किया था। भगवती का वाहन वृषभ, दाहिने हाथ में त्रिशूल और बायें हाथ में कमल सुशोभित है।
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